साहित्यकार प्रोफेसर दिनेश चमोला ‘शैलेश’ ने की मुख्यमंत्री को अपनी पुस्तकें भेंट

asiakhabar.com | March 5, 2025 | 3:21 pm IST

नई दिल्ली। साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित तथा साहित्य अकादमी की जनरल काउंसिल तथा हिंदी परामर्श मंडल के पूर्व सम्मानित सदस्य एवं देश के चर्चित हिंदी साहित्यकार प्रोफेसर (डॉ.) दिनेश चमोला ‘शैलेश’ ने मुख्यमंत्री आवास में श्री पुष्कर सिंह धामी, मा.मुख्यमंत्री, उत्तराखंड के साथ जहां ‘भूले बिसरे मतवाले’ नामक पुस्तक का लोकार्पण किया, वहीं 1982 से 2024 तक लिखित अपने दुर्लभ ग्रंथ ‘संपूर्ण कहानियां’ की प्रथम प्रति तथा अपने दो चर्चित उपन्यास ‘टुकड़ा टुकड़ा संघर्ष’, ‘ बुलंद हौसले’ एवं ’21श्रेष्ठ कहानियां’ की प्रति भी उन्हीं सादर भेंट की । श्री धामी ने इनके विपुल साहित्य की सराहना की ।
हाल ही में दिल्ली में संपन्न विश्व पुस्तक मेले में प्रोफेसर चमोलाका यह दुर्लभ ग्रंथ प्रकाशित हुआ है । देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध कर रहे उनके शोधार्थियों को उनकी सारी कहानियां अब एक ही जिल्द में उपलब्ध हो गई हैं जिनके लिए उन्हें अब अन्यत्र नहीं भटकना पड़ेगा
पिछले तेतालीस (43) वर्षों से देश की अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए अनवरत लिखने वाले साहित्यकार, प्रो.चमोला राष्ट्रीय स्तर पर साठ से अधिक सम्मान व पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं व सात दर्जन से अधिक मौलिक पुस्तकों के लेखक के साथ-साथ हिंदी जगत में अपने बहु-आयामी लेखन व हिंदी सेवा के लिए सुविख्यात हैं ।
ध्यातव्य है कि 14 जनवरी, 1964 को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के ग्राम कौशलपुर में स्व.पं. चिंतामणि चामोला ज्योतिषी एवं श्रीमती माहेश्वरी देवी के घर मेँ जन्मे प्रो. चमोला ने शिक्षा में प्राप्त कीर्तिमानों यथा एम.ए. अंग्रेजी, प्रभाकर; एम. ए. हिंदी (स्वर्ण पदक प्राप्त); पीएच-डी. तथा डी.लिट्. के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी राष्ट्रव्यापी पहचान निर्मित की है। अभी तक प्रो. चमोला ने उपन्यास, कहानी, दोहा, कविता, एकांकी, बाल साहित्य, समीक्षा, शब्दकोश, अनुवाद, व्यंग्य, खंडकाव्य, व्यक्तित्व विकास, लघुकथा, साक्षात्कार, स्तंभ लेखन के साथ-साथ एवं साहित्य की विविध विधाओं में लेखन किया है । देश के अनेक विश्वविद्यालयों में स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर आपकी रचनाएं/ संदर्भ पुस्तकें पाठ्यक्रमों में सम्मिलित हैं ।
आपकी चर्चित पुस्तकों में ‘यादों के खंडहर, ‘टुकडा-टुकड़ा संघर्ष, ‘प्रतिनिधि बाल कहानियां, ‘श्रेष्ठ बाल कहानियां, ‘दादी की कहानियां¸ नानी की कहानियां, माटी का कर्ज, ‘स्मृतियों का पहाड़, ’21श्रेष्ठ कहानियां‘ ‘क्षितिज के उस पार, ‘कि भोर हो गई, ‘कान्हा की बांसुरी, ’मिस्टर एम॰ डैनी एवं अन्य कहानियाँ,‘एक था रॉबिन, ‘पर्यावरण बचाओ, ‘नन्हे प्रकाशदीप’, ‘एक सौ एक बालगीत, ’मेरी इक्यावन बाल कहानियाँ, ‘बौगलु माटु त….,‘विदाई, ‘अनुवाद और अनुप्रयोग, ‘प्रयोजनमूलक प्रशासनिक हिंदी, ‘झूठ से लूट’, ‘गायें गीत ज्ञान विज्ञान के’ ‘मेरी 51 विज्ञान कविताएँ’ तथा ‘व्यावहारिक राजभाषा शब्दकोश’ आदि प्रमुख हैं। हाल ही में आपकी अनेक पुस्तकें- ‘सृजन के बहाने: सुदर्शन वशिष्ठ’; ’21 श्रेष्ठ कहानियां’ (कहानियां); ‘बुलंद हौसले’ (उपन्यास); ‘पापा ! जब मैं बड़ा बनूंगा’; ‘मेरी दादी बड़ी कमाल’ (बाल कविता संग्रह) तथा ‘मिट्टी का संसार’ (आध्यात्मिक लघु कथाएं) आदि प्रकाशित हुई हैं।
प्रो. चमोला ने 22 वर्षों तक चर्चित हिंदी पत्रिका “विकल्प ” का भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून से संपादन किया है तथा दो बार इस पत्रिका को भारत के राष्ट्रपति के हाथों प्रथम व द्वितीय पुरस्कार दिलाया है । आप देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, आयोगों व संस्थानों की शोध समितियों ; प्रश्नपत्र निर्माण व पुरस्कार मूल्यांकन समितियों के सम्मानित सदस्य/विशेषज्ञ हैं। आप वर्तमान में गढ़ विहार, देहरादून में रहते हैं ।


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