मुंबई। देश में हुई अब तक की सबसे बड़ी धोखाधड़ी के केस की जांच की जिम्मेदारी इकोनॉमिक आफेंसेज विंग (EOW) ने ले ली है। इस मामले में 50 लाख से ज्यादा निवेशकों के करीब 7,035 करोड़ रुपए ठगे गए हैं। इससे पहले, बाजार नियामक संस्था सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने पीसीएल को अपनी प्रॉपर्टीज नहीं बेचने का निर्देश दिया था।
सेबी ने पीसीएल की संपत्तियां बेचकर निवेशकों के पैसे लौटाने के मकसद से बिक्री प्रक्रिया अपनाने के लिए रिटायर्ड जज आरएम लोढ़ा को नियुक्त किया था। EOW ने पीसीएल और इसके छह डायरेक्टरों के खिलाफ महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंट्रेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (एमपीआईडी) की धाराओं के साथ ही आईपीसी की धाराएं भी लगाई हैं।
एक अधिकारी ने बताया, ‘पीसीएल होटल में ठहरने की एक स्कीम लाया था। वह लोगों को मेंबरशिप देकर निवेश करने को कहता था। इसके लिए वह इन होटलों में हॉलिडे पैकेज ऑफर कर रहा था। जिन निवेशकों को जबर्दस्त रिटर्न्स के वादे किए गए थे, उन्हें हॉलिडे पैकेज नहीं मिले। ऐसे में एक निवेशक ने सेबी से शिकायत कर दी और मामले की जांच शुरू हो गई।
जांच में पता चला कि कंपनी सामूहिक निवेश योजना चला रही थी, जिसके लिए सेबी से अनुमति लेनी होती है। मगर, इस मामले में डायरेक्टर्स ने सेबी से इजाजत नहीं ली। जांच में खुलासा हुआ कि महज एक प्रतिशत निवेशकों को ही वादे के अनुसार होटल स्टे की सुविधा दी गई थी।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रभादेवी स्थित कंपनी का हेड ऑफिस अब बंद कर दिया गया है। दादर निवासी नरेंद्र वातौकर ने 10 दिसंबर को पीसीएल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
पीसीएल में देश के विभिन्न हिस्से से लाखों लोगों ने निवेश किया है, जिनमें से अधिकांश मध्यवर्गीय परिवारों से हैं। कंपनी निवेशकों के 7,000 करोड़ रुपए लौटाने के सेबी के निर्देशों का पालन करने में असफल रही है। इसके बाद उसकी संपत्तियों को अटैच कर दिया गया था। सेबी पीसीएल की 34 संपत्तियों की कुर्की कर चुकी है। साथ ही उसने, कंपनी के 250 से ज्यादा बैंक खाते फ्रीज कर दिए।