नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक याचिका जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में हस्तांतरित कर दी जिसमें आरोप लगाया गया है कि जन सुरक्षा कानून के तहत निरुद्ध 20 से अधिक लोगों को केंद्रशासित प्रदेशों के कारावासों से उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे विभिन्न राज्यों की जेलों में स्थानांतरित किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष 1978 के जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम में 2018 में किये गये संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाएं हैं, इसलिए उचित होगा कि इस याचिका पर भी वहीं विचार हो।
केंद्रशासित प्रदेश की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अन्य राज्यों की जेलों में बंद कैदियों से मिलने के लिए परिजनों को सुविधा प्रदान की जा रही है और यह स्वीकार्य प्रणाली है।
राजा बेगम और कैदियों के अन्य रिश्तेदारों की याचिका को उच्च न्यायालय में हस्तांतरित करते हुए पीठ ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से याचिका पर त्वरित सुनवाई करने को कहा और याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस को वहां इसका उल्लेख करने की स्वतंत्रता दी। उसने कहा, ”यहां यह कहने की जरूरत नहीं है कि उच्च न्यायालय इस अदालत के आदेश के अनुसार याचिका को देखेगी।”
इससे पहले शीर्ष अदालत ने जन सुरक्षा कानून के तहत निरुद्ध कई लोगों को केंद्रशासित प्रदेश से उत्तर प्रदेश और हरियाणा की जेलों में स्थानांतरित किये जाने के आरोप वाली याचिका पर पिछले साल चार नवंबर को केंद्र, जम्मू कश्मीर सरकार और अन्य से जवाब मांगे थे।