मधुर साहित्य सामाजिक काव्य संस्था की 115 वीं कवि गोष्ठी सम्पन्न हुई जिसमें हिन्दी और भोजपुरी भाषी साहित्यकारों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएं प्रस्तुत कीं। अध्यक्षता शायर लियाकत अली जौहर ने की। कार्यक्रम की शुरुआत बलराम राय की सरस्वती वंदना से हुई। मधुसूदन पाण्डेय मधुर ने शिक्षक को समर्पित कविता ‘शिक्षक शिक्षा से शिष्य संवारत, ज्ञानी गुनी गुणवान बनावत… तथा युवा कवि सुनील चौरसिया सावन ने मां को समर्पित रचनाएं… मां ममता के अमृत से जीवन को सींचे, मेरी जिंदगी है पापा के पांवों के नीचे… तथा माई सहाई होली दुख परेशानी में, खुशी भरि देली माई जीवन की कहानी में…. सुनाकर तालियां बटोरी। मुख्य अतिथि सच्चिदानंद पांडेय रहे। विशिष्ट अतिथि सुरेंद्र यादव ने अपनी प्रतिनिधि कविताएं प्रस्तुत की।
मंच संचालक अशोक शर्मा ने हर साल जलाते हो मुझको, मैं जीवित कहां से आता हूं… सुनाकर वाहवाही लूटी। उगम चौधरी ने भक्तिभाव पूर्ण गीत सुनायी-निमिया के पतई ह माई के भोजनिया, एही पर झुलवा झुलेली दूनो बहिनिया।
नूरुद्दीन नूर, सुरेंद्र गोपाल तथा गोमल प्रसाद की कविताएं सराही गयीं। धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य सुरेंद्र यादव ने किया।
कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष के उद्बोधन से हुआ। इस अवसर पर श्रोतागण के रूप में पारस शर्मा , पंकज पाण्डेय, सुप्रीति चौरसिया, आराधना पांडेय, रामकेवल चौरसिया, उर्मिला , प्रियंका, नंदिनी, संदीप, शैलेंद्र, सत्या , सोना, पिन्टू, वन्दना आदि उपस्थित रहे।