
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक प्रयोगशाला ने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के लिए देश में ही विकसित ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जनरेटिंग सिस्टम (ओबीओजीएस) आधारित जीवन रक्षक प्रणाली का अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सफल परीक्षण किया है।
यह एक अत्याधुनिक प्रणाली है जिसे उड़ान के दौरान पायलटों के लिए सांस लेने योग्य ऑक्सीजन उत्पन्न करने और नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे पारंपरिक तरल ऑक्सीजन सिलेंडर-आधारित प्रणालियों पर निर्भरता समाप्त हो जायेगी। इस प्रणाली का हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के एलसीए-प्रोटोटाइप व्हीकल-3 विमान पर कठोर परीक्षण किया गया। इसमें समुद्र तल से 50,000 फुट की ऊँचाई और हाई-जी युद्धाभ्यास सहित विभिन्न उड़ान स्थितियों में कड़े एयरोमेडिकल मानकों को पूरा किया गया।
ये परीक्षण डीआरडीओ की बेंगलुरु स्थित प्रयोगशाला, डिफेंस बायो-इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रो मेडिकल लेबोरेटरी ने मंगलवार को किये।
ये परीक्षण विमान के ऊंचाई पर एरोबैटिक युद्धाभ्यास, टैक्सीइंग, टेक ऑफ, क्रूज, जी टर्न और लैंडिंग के दौरान किये गये। सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस एंड सर्टिफिकेशन से उड़ान की मंजूरी के बाद, सिस्टम ने सभी निर्दिष्ट मापदंडों को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह वास्तविक समय में ऑक्सीजन उत्पादन सुनिश्चित करेगा, जिससे पायलट की सहनशक्ति और परिचालन प्रभावशीलता बढ़ेगी। उचित संशोधनों के साथ, इस प्रणाली को मिग-29 के और अन्य विमानों में उपयोग के लिए भी अनुकूलित किया जा सकता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर डीआरडीओ, वायु सेना, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और उद्योग भागीदारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह विकास अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है और ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने भी सफल परीक्षण में योगदान के लिए डीआरडीओ टीम, वायु सेना और उद्योग भागीदारों की सराहना की।