जलपाईगुड़ी। पश्चिम बंगाल में एंबुलेंस दादा का नाम कौन नहीं जानता और सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि यह नाम अब देशभर में मशहूर हो चुका है। अब इन एंबुलेंस दादा की जिंदगी पर एक फिल्म बनने जा रही है। खबरों के अनुसार फिल्म हम साथ-साथ हैं के असिस्टेंट डाइरेक्टर रहे विनय मुदगिल जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) के एंबुलेंस दादा के नाम से मशहूर करीमुल हक पर एंबुलेंस मैन नामक फिल्म बनाएंगे। फिल्म में करीमुल की जिंदगी और उनके द्वारा गरीबों की मदद के लिए किए जा रहे काम को पेश किया जाएगा।
फिल्म के लेखक व निर्देशक विनय मुदगिल होंगे। विनय के सहायक आलोक सिंह ने बताया कि एंबुलेंस दादा करीमुल हक के साथ फिल्म संबंधी एग्रीमेंट हो चुका है। फिल्म का 50 फीसद लाभांश करीमुल हक को प्रदान किया जाएगा।
यह हैं एंबुलेंस दादा
52 साल के करीमुल हक जलपाईगुड़ी के एक चाय के बागान में काम करते हैं। बदले में उनको हर महीने 5हजार रुपये मिलते हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं। एक छोटी सी नौकरी करने वाले करीमुल की जिंदगी ने तब बड़ा मोड़ लिया जब उनकी मां बीमार हुई और उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस नहीं मिली। उनकी मां ने प्राण त्याग दिए लेकिन उस दिन के बाद करिमुल ने कसम खाई कि वो किसी को इस तरह मरने नहीं देंगे। इसके बाद वो अपने गांव और उसके आस-पास के बीमारों को खुद एंबुलेंस बनकर अस्पताल ले जाने लगे।
चाहे ठंड हो, गर्मी हो या फिर बारिश, करिमुल 24 घंटे लोगों की सेवा में लगे रहते हैं। उनके इसी जज्बे और सेवा के कारण उन्हें सरकार ने 2017 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया है। अब तक करीमुल सैकड़ों अस्वस्थ लोगों को अपनी बाइक एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाकर उनका जीवन बचा चुके हैं।
मुश्किल थी राह
हालांकि, बेहद कम तनख्वाह और संसाधनों के अभाव के चलते करिमुल की यह राह बेहद मुश्किल थी। तब वो जिस चाय के बागान में काम करते हैं वहां के मालिक से उन्होने इस बारे में बात की और उनसे उनकी पुरानी बाइक मांगी। इसके बाद एम्बुलेंस दादा ने उस बाइक में कुछ सुधार कर उसे एंबुलेंस का रूप दिया। इसके बाद तो वो दूर-दूर के गांवों में भी जाकर बीमारों को अस्पताल पहुंचाने लगे।
किसी बीमार के फोन करने पर एंबुलेंस पहुंचे या नहीं, एंबुलेंस दादा जरूर वक्त पर पहुंच जाते हैं। करीमुल को जो भी आर्थिक मदद मिलती है वो उस पैसे से अपनी एबुंलेंस में फर्स्ट एड और दवाईयां रखते हैं ताकि जरुरमंद लोगों को शुरूआती इलाज मिल जाए। उनके इसी जज्बे को सलाम करते हुए एक बाइक कंपनी ने उन्हें बाइक एंबुलेंस उपहार में दी है जिसके बाद उनका काम और आसान हो गया है।