अंतर्राष्ट्रीय नागरी लिपि संगोष्ठी आयोजित की गई

asiakhabar.com | April 29, 2025 | 5:44 pm IST

नई दिल्ली, देश -विदेश में नागरी लिपि का प्रचार प्रसार में संलग्न प्रतिनिधि संस्था ‘नागरी लिपि परिषद’ की छत्तीसगढ़ इकाई ने ‘ राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि की भूमिका ‘ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया । इसकी अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने की। ग्रेसियस कालेज, रायपुर की प्राध्यापक डॉ मुक्ता कौशिक के कुशल संचालन एवं संयोजन में श्रीमती जानकी साहू ने सरस्वती वंदना और गाजियाबाद की नागरी अध्येता डॉ रश्मि चौबे ने सुमधुर नागरी वंदना से संगोष्ठी का शुभारंभ किया। कोरबा, छत्तीसगढ़ के भौतिकी व्याख्याता श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव मनलाभ ने काव्यात्मक स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
नागरी लिपि परिषद के महामंत्री और न्यूयॉर्क , अमेरिका से प्रकाशित वैश्विक हिंदी पत्रिका सौरभ के संपादक डॉ हरिसिंह पाल ने मुख्य वक्ता के रूप में नागरी लिपि परिषद की स्थापना और इसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 10 अप्रैल 1975 को पंजीकृत नागरी लिपि परिषद की स्थापना को अब 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं।इस अवधि में परिषद ने देश -विदेश में नागरी लिपि के पक्ष में सकारात्मक वातावरण निर्मित किया है। जिससे अनेक लिपि विहीन बोली भाषाओं ने नागरी लिपि को अंगीकार कर लिया है।आज देश- विदेश के 1575 से अधिक नागरी लिपि प्रेमियों ने परिषद की आजीवन सदस्यता लेकर इसके महत्व को रेखांकित किया है। अति विशिष्ट अतिथि के रूप में परिषद के उपाध्यक्ष एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने नागरी लिपि परिषद की गतिविधियों की भूरि भूरि प्रशंसा की और राष्ट्रीय एकता के लिए नागरी लिपि को बहुत ही अहम बताया। तत्पश्चात् नागरी लिपि परिषद की तमिलनाडु इकाई की प्रभारी डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन ने नागरी लिपि की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला और तमिलनाडु में इसकी बढ़ती लोकप्रियता पर प्रकाश डाला। परिषद के संयुक्त मंत्री और आकाशवाणी के पूर्व सह निदेशक श्री अरुण कुमार पासवान ने आचार्य विनोबा भावे की दृष्टि से राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि के अवदान पर विवेचना प्रस्तुत की।
संगोष्ठी में मारिशस के नागरी -हिंदी सेवी डॉ सोमदत्त काशीनाथ, नेपाल के प्राचार्य डॉ अजय कुमार झा, नार्वे के नागरी -हिंदी सेवी श्री सुरेश चन्द्र शुक्ल, फिलाडेल्फिया, अमेरिका की डॉ मीरा सिंह सहित पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार अग्रवाल, नाशिक के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं उपप्राचार्य डॉ पोपट राव कोटमे, दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कालेज के प्रोफेसर डॉ मनोज कुमार कैन, परिषद की कर्नाटक इकाई के प्रभारी डॉ सुनील कुमार परीट और अमरोहा की श्रीमती शशि त्यागी ने नागरी लिपि के महत्व पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी में तमिलनाडु के एस अनंत कृष्णन, डॉ डेनियल राजेश, डॉ के विजय कुमार, कर्नाटक के डॉ नागनाथ भेंड़े और सुश्री रश्मि बी वी, ओडिशा के श्री हरीराम पंसारी, केंद्रीय हिंदी निदेशालय के पूर्व उपनिदेशक डॉ भगवती प्रसाद निदारिया, बिहार की डॉ शिप्रा मिश्रा, महाराष्ट्र के डॉ आरिफ जमादार, डॉ जगदीश परदेशी, सुबोध मिश्र, काशी विद्यापीठ के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ राजमुनि, जौनपुर के वरिष्ठ पत्रकार डॉ ब्रजेश कुमार यदुवंशी, झारखंड के डॉ अशोक अभिषेक, छत्तीसगढ़ के डॉ एम एल नथानी, डॉ जया वर्मा, पूजा अलपुरिया,रेखा राय, डॉ मीता अग्रवाल, डॉ प्रतिमा चंद्राकर, डॉ चंद्रशेखर सिंह, डॉ सुबिया फैजल,लखनऊ से दीनबंधु आर्य, प्रियंका भारती, वाराणसी से श्री मोहन द्विवेदी मिर्जापुर से डॉ )ओमप्रकाश शर्मा, राजस्थान से श्री भारत कोराणा, चंपावत, उत्तराखंड से श्री राकेश कुमार और दिल्ली से डॉ रामायण पाल की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। अध्यक्ष डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में सभी नागरी प्रेमी प्रतिभागियों की सक्रिय प्रतिभागिता, विशेष रूप से परिषद की छत्तीसगढ़ इकाई की प्रभारी डॉ मुक्ता कौशिक और उनके समस्त सहयोगियों के सराहनीय प्रयासों के लिए आभार प्रदर्शित किया। रायपुर की प्राध्यापक डॉ सरस्वती वर्मा ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।


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