सरांश गुप्ता
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा है कि वर्तमान में
शांतिरक्षा अभियान ‘नो मैन्स लैंड’ में है और इसमें प्रोत्साहन, नवोन्मेष तथा लागू करने के स्तर तक
सुधार की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र
शांतिरक्षक अभियानों पर सोमवार को सुरक्षा परिषद में अपने संबोधन में कहा कि संयुक्त राष्ट्र का
शांतिरक्षक कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के प्रति खतरों के जवाब में बहुपक्षवाद का बेहतरीन
नवोन्मेष है।अकबरूद्दीन ने कहा कि दशकों से इस बात पर चर्चा हो रही है कि ऐसा रुख अपनाने की
जरूरत है जहां सभी अहम पक्ष खास तौर पर सैनिक योगदान देने वाले देश (टीसीसीएस) निर्णय लेने के
क्रम में सतत और उम्मीद के मुताबिक जुड़े हों।लेकिन हकीकत में टीसीसीएस, सुरक्षा परिषद तथा
सचिवालय के बीच सहयोग में कोई प्रभावी सुधार नहीं है। उन्होंने महिला शांतिदूतों को और प्रोत्साहन
देने की मांग की। जुलाई 31 तक कुल 86,687 शांतिदूतों में से महिला शांतिदूतों की संख्या महज छह
फीसदी 5,243 है। उन्होंने कहा कि इन 26 वर्षों में, हमने महिलाओं की हिस्सेदारी में पांच प्रतिशत की
वृद्धि की है। इस दर पर न्यूनतम लक्ष्यों को भी पूरा करना संभव नहीं हो पाएगा। महिला शांतिदूतों को
और प्रोत्साहन देने की जरूरत है अन्यथा लक्ष्य सिर्फ लक्ष्य ही रहेंगे।