काठमांडू। नेपाली कांग्रेस के पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री रहे आफताब आलम को रौतहट जिला अदालत से आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। घटना के 16 साल बाद सजा की घोषणा हुई है।
रौतहट जिले के बाहुबली नेता और नेपाल सरकार में श्रम मंत्री रहे आफताब आलम को पहले संविधान सभा चुनाव के दौरान कई लोगों को जिन्दा भट्ठी में झोंकने के मामले में दोषी पाया गया है। साल 2008 में हुए पहले संविधान सभा के दौरान रौतहट से नेपाली कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे आलम ने बूथ कब्जा कर चुनाव जीतने के लिए सीमावर्ती बिहार के कुछ अपराधियों को बुलाकर उनसे बम बनवा रहा था। बम बनाने के दौरान उसके घर में धमाका हो गया और बम बनाने वाले सभी बुरी तरह घायल हो गए। घटना को छिपाने के लिए सभी घायलों का इलाज कराने की बजाय उन सभी को अपने ईंट भट्ठे में ले जाकर जिन्दा झोंक कर उनकी हत्या कर दी थी।
मरने वालों में दो ही नेपाली नागरिक थे। बाकी सभी बिहार के रहने वाले थे। लापता नेपाली लोगों के घर वालों की शिकायत के बाद पुलिस ने घटना के 12 साल के बाद आफताब आलम को गिरफ्तार किया था। उसके बाद से वह लगातार जेल में है। आलम की गिरफ्तारी के चार साल सुनवाई के बाद जिला अदालत से मामले का फैसला आया है।
रौतहट जिला के न्यायाधीश मातृका प्रसाद आचार्य ने इस मामले में आफताब आलम समेत चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सजा पाने वालों में आफताब आलम का भाई महताब आलम, शेख सराज और बद्री सहनी है। सहनी उस ईंट भट्ठे का मुंशी रह चुका है। इस मामले में आफताब के परिवार के 6 लोग अभी भी फरार बताए जा रहे हैं।
अदालत ने कहा कि जब भी उनलोगों की गिरफ्तारी होगी उसी समय से मुकदमे की सजा सुनाई जाएगी। अदालत के फैसले में ईंट भट्ठे में मारे गए दो नेपाली नागरिक त्रिलोक प्रताप सिंह और ओसी अख्तर मियां के मामले में सजा की बात उल्लेख है। इस क्रम में मारे गए करीब आधा दर्जन अन्य लोग जो बिहार के थे, उनकी तरफ से अब तक न तो पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है न ही मुकदमे के लिए अनुरोध किया गया है। इसलिए उस पर अदालत ने फिलहाल कुछ नहीं कहा है। इस घटना के बाद भी आफताब आलम दो बार सांसद और एक बार मंत्री बन चुका है।