एचआईवी पॉजीटिव होना और एड्सग्रस्त होना दोनों अलग-अलग बातें हैं। वैसे तो मौजूदा समय में इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है, मगर अब भी समाज में इससे जुड़े कई ऐसे भ्रम फैले हुए हैं जिसे जानकारी के अभाव में सच मान लिया जाता है। अब जैसे कि एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब लोग जीवन का अंत समझने लगते हैं, उन्हें लगता है कि एड्स हो गया, मगर यह पूरा सच नहीं है। एचआईवी पॉजिटिव का मतलब एड्स नहीं: एचआईवी पॉजीटिव होना और एड्स ग्रस्त होना दोनों अलग-अलग बातें हैं। उपचार द्वारा एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंशी वायरस) को रोका जा सकता है। जबकि एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिसिएंशी सिंड्रोम) एचआईवी संक्रमण के कारण होता है। एचआईवी वायरस, एड्स एक बीमारी: एचआईवी एक वायरस है, जबकि एड्स एक बीमारी है। एचआईवी के शरीर में दाखिल होने के बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और शरीर पर तरह तरह की बीमारियां व संक्रमण पैदा करने वाले वायरस हमले करने लगते हैं। एचआईवी पॉजिटिव होने के करीब आठ से दस साल बाद इन तमाम बीमारियों के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। एचआईवी स्थांतरित होता है, एड्स नहीं: लोग एड्स मरीजों से दूरी बनाकर रखते हैं, कहते हैं मुझे एड्स मत दो। मगर यह जान लेना जरूरी है कि एचआईवी एक इंसान से दूसरे इंसान में स्थांतरित होता है, ना कि एड्स। शारीरिक संबंध, संक्रमित खून व इंजेक्शन से एड्स नहीं एचआईवी ट्रांसमिट होता है। एचआईवी को नियंत्रित कर सकते हैं, एड्स को नहीं: एचआईवी को नियंत्रित किया जा सकता है, इसमें इंसान के जीने की अधिक संभावनाएं होती हैं। मगर एड्स की स्थिति में प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से खत्म हो जाती है। यह लाइलाज है और दुनिया की खतरनाक बीमारियों में शामिल है।