गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आदि अनादि काल से भारत आध्यात्मिक,आस्था का प्रतीक रहा है, जो हजारों वर्षों पूर्व के इतिहास में दर्ज है,जिसे हम कहानियों मान्यताओं के रूप में अपने पूर्वजों, पूर्वज पीढ़ीयों और वर्तमान में बड़े बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं। भारत एक सर्वधर्म धर्मनिरपेक्ष देश है जहां हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सहित अनेकों जातियों प्रजातियों उपजातियों द्वारा अपने-अपने स्तर व मान्यताओं के अनुसार धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। किसी को कोई पाबंदी नहीं है, यही भारतीय संविधान की खूबसूरती है, यहबात हम आज इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 03 से 12 अक्टूबर 2024 तक शुभ नवरात्रा दिवस शुरू हो गए हैं जो प्रतिवर्ष अक्टूबर महीने की भिन्न-भिन्न तिथियों पर मनाए जाते हैं। यह किसी एक राज्य या देश में नहीं बल्कि अनेक राज्यों देशों में गहरी आस्था के साथ मनाया जाता है। इस अवधि में कठोर व्रत रखा जाता है।अपनी अपनी मान्यता सार्थकता के अनुसार- चप्पल नहीं पहनना, बाल शेविंग नहीं बनाना, नीचे धरती पर सोना, ब्रह्मचर्य रहना मौन धारण करना सहित अपनी शक्ति के अनुसार अनेक प्रकारों की के बातों से दूर रहने का पालन अपनी मनोकामना पूरा करने, फल की चाहना के लिए मां दुर्गा काली से कामना करते हैं। इस वर्ष 03 से 12 अक्टूबर 2024 को 10 दिन शुभ वाली स्थिति आई है। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार मां दुर्गा पालकी पर विराजमान होकर आई है। इस बार नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हुई है इसलिए मातारानी का वाहन पालकी है वैसे तो माता का वाहन शेर है लेकिन पृथ्वी लोक में आने के दौरान माता का वाहन वार के अनुसार बदल जाता है। इसे लेकर देवीभाग्वत पुराण में एक श्लोक दिया है जिसके अनुसार
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ (देवीभाग्वत पुराण)यानि कि,नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार से हो तो मां हाथी पर आती हैं। शनिवार और मंगलवार से हो तो मां अश्व यानी घोड़े पर आती है। गुरुवार और शुक्रवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होने पर माता रानी डोली या पालकी पर आती हैं,वहीं बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होने पर मां दुर्गा का वाहन नाव होता है। इसके अनुसार ही इसके शुभ या अशुभ संकेत मिलते है।इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से,जो मान्यताओं को आधार बनाकर लिखा गया है इसकी सटीकता की कोई गारंटी नहीं है,चर्चा करेंगे,नवरात्र महोत्सव 3-12 अक्टूबर 2024-पालकी पे सवार होके आईशेरावालिएं-शेरावालिएं माँ जोतियाँ वालिएं।
साथियों बात अगर हम नवरात्रि के नौ रंगो और शारदीय नवरात्रि तिथियों की करें तो,नवरात्रि के 9 रंग 3 अक्टूबर 2024 -पीला,4 अक्टूबर – हरा,5 अक्टूबर-स्लेटी, 6 अक्टूबर- नारंगी,7 अक्टूबर- सफेद, 8 अक्टूबर – लाल,9 अक्टूबर – नीला, 10 अक्टूबर – गुलाबी, 11 अक्टूबर – बैंगनी, 12 अक्टूबर – दुर्गा विसर्जन: शारदीय नवरात्रि की तिथियां :-3 अक्टूबर (प्रतिपदा): घटस्थापना, मां शैलपुत्री 4अक्टूबर(द्वितीया) : मां ब्रह्मचारिणी, 5 अक्टूबर (तृतीया) : मां चन्द्रघण्टा, 6 अक्टूबर तृतीया, 7 अक्टूबर (चतुर्थी) : मां कूष्माण्डा, 8 अक्टूबर (पंचमी): मां स्कंदमाता, 9 अक्टूबर (षष्ठी):मां कात्यायनी 10 अक्टूबर (सप्तमी) : मां कालरात्रि,11 अक्टूबर (अष्टमी) :महाष्टमी, मां महागौरी, कन्या पूजा,12 अक्टूबर (नवमी):महानवमी, मां सिद्धिदात्री, विजयादशमी, दशहरा, नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन। 3 अक्टूबर से शारदीय यानी आश्विन मास की नवरात्रि शुरू हुई है। देवी पूजा का ये पर्व 11 अक्टूबर तक चलेगा,इस साल तिथियों के घट-बढ़ के कारण नवरात्रि 9 की बजाय 10 दिन की होगी।नवरात्रि की दो महत्वपूर्ण तिथियां दुर्गाष्टमी और दुर्गा नवमी एक ही दिन मनाई जाएगी।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है और धरती को उनका मायका कहा जाता है।इस नवरात्रि में दुर्गा पूजा भी मनाई जाती है।
साथियों बात अगर हम 9 दिन नौ देवियों के बारे में जानने की करें तो,शैलपुत्रीः पर्वतराज हिमालय की पुत्री, देवी शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं। इनको सफेद रंग बहुत प्रिय है और मां शांति और पवित्रता का प्रतीक हैं।ब्रह्मचारिणीः देवी ब्रह्मचारिणी तपस्या और साधना की देवी हैं। इस दिन पीले रंग का महत्व है, देवी सुख और समृद्धि देने वाली हैं।चंद्रघंटाः देवी चंद्रघंटा शांति और साहस की देवी मानी जाती हैं। तीसरे दिन के लिए हरा रंग शुभ माना जाता है।कुष्मांडा: देवी कुष्मांडा ब्रह्मांड को रचने वाली देवी मानी गईं हैं। इस दिन का रंग नारंगी है, जो ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक होता है।स्कंदमाताः देवी भगवान कार्तिकेय की माता, शांति और भक्ति की देवी मानी जाती हैं। यह दिन सफेद रंग को समर्पित है।
कात्यायनीः देवी कात्यायनी शक्ति और साहस की प्रतीक हैं।छठे दिन के लिए लाल रंग शुभ माना जाता है कालरात्रिः देवी कालरात्रि बुराई का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस दिन का रंग नीला है, जो शत्रुओं का नाश करने का प्रतीक है।महागौरीः देवी महागौरी पवित्रता और शांति की देवी हैं। इस दिन का रंग गुलाबी है, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।सिद्धिदात्रीः देवी सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। नवमी के दिन बैंगनी रंग को शुभ माना जाता है।
साथियों बात कर हम कन्याओं और देवी के शास्त्रों की पूजा की करें तो, अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें. इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए. इस तिथि पर विविध प्रकार से पूजा करनी चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए. इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए. दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए. पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए, 2 साल की कन्या को कुमारी कहा जाता है. इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है। 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है. त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है। 4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है. इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है। 5 साल की कन्या रोहिणी माना गया है. इनकी पूजन से रोग-मुक्ति मिलती है। 6 साल की कन्या कालिका होती है. इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है। 7 साल की कन्या को चंडिका माना जाता है. इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है। 8 साल की कन्या शांभवी होती है. इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है। 9 साल की कन्या दुर्गा को दुर्गा कहा गया है. इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं। 10 साल की कन्या सुभद्रा होती है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है। पूरे वर्ष में,चार नवरात्रि मनाई जाती है। यह नवरात्रि शारदीय होगी, जो आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाई जा रही है। इस दौरान, भक्त मां दुर्गा और उनके नौ अवतारों – नव दुर्गाओं की पूजा करते हैं। यह त्यौहार नौ दिनों तक मनाया जाता है, इसलिए सही तिथियों और कलश स्थापना के सही मुहूर्त को जानना आवश्यक है। नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है। मान्यता है कि कलश स्थापना मुहूर्त में ही करनी चाहिए, क्योंकि नौ दिनों यह देवी के स्वरूप में आपके निवास स्थान में विराजमान रहता है।
साथियों बात अगर हम नवरात्र के साथ ही त्योहारों की श्रृंखला शुरू होने की करें तो, आस्था, श्रद्धा और भक्ति के पावन पर्व शारदीय नवरात्र आरंभ होते ही हर तरफ उमंग-उल्लास का माहौल बन जाता है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक, देश के हर हिस्से में इस महापर्व के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। देश में आयोजित होने वाले कुछ प्रसिद्ध शारदीय नवरात्र उत्सव के पारंपरिक सांस्कृतिक रंगों पर एक दृष्टि डालेंगे तो नवरात्र के साथ ही त्योहारों की मानो शृंखला शुरू हो जाती है। शारदीय नवरात्र के नौ दिन पूरे होने के बाद दसवें दिन असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक के रूप में दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसके बाद करवा चौथ, धनतेरस, रूप चौदस, छोटी दीवाली, बड़ी दीवाली, गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, भाई-दूज, छठ-पूजा, गोपाष्टमी, देवउठनी एकादशी, गुरुनानक जयंती आदि पर्वों त्योहारों की झड़ी लग जाती है। जहां तक शारदीय नवरात्र की बात है, तो यह पूरे देश को उत्सव के रंग-बिरंगे धागों से बांधने वाला पर्व है। शारदीय नवरात्र में देश में अलग-अलग जगहों पर उत्सव के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नवरात्रा महोत्सव 3-12 अक्टूबर 2024-पालकी पे सवार होके आई शेरावालिएं-शेरावालिएं माँ जोतियाँ वालिएं।भारत से दूर प्रवासियों,अमेरिका सिंगापुर सहित अनेक देशों में भारतीय संस्कृति का पताका नवरात्रा उत्सव के रूप में फहराया जा रहा है।भारत सहित दुनियाँ के अनेक देशों में नवरात्रा उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है,जो कष्टों से मुक्ति,सुख समृद्धि का प्रतीक है।