झारखंड में भ्रष्टाचार की असलियत

asiakhabar.com | May 11, 2024 | 5:17 pm IST
View Details

-योगेन्द्र योगी
गैर भाजपा राजनीतिक दलों के लिए देश में व्याप्त भ्रष्टाचार कोई चुनावी मुद्दा नहीं रह गया है। यही वजह है कि खास तौर से क्षेत्रीय दलों की सरकारों में बेशर्मी से लूटने की होड़ मची हुई है। झारखंड में एक मंत्री के निजी सहायक के नौकर के घर से करीब 35 करोड़ रुपए मिलने पर किसी भी दल ने कठोर कार्रवाई की मांग तो दूर, बल्कि इस भारी-भरकम भ्रष्टाचार के लिए अफसोस तक जाहिर नहीं किया। यह पहला मौका नहीं है जब इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की असलियत उजागर हुई हो। इससे पहले भी असीम सुर्खियों में रहे भ्रष्टाचार के मामलों में क्षेत्रीय दलों की सत्तारूढ़ सरकारों के काले कारनामे सामने आ चुके हैं। भ्रष्टाचार के मामले सामने आने पर क्षेत्रीय दलों का प्रयास यही रहता रहा है कि इसे केंद्र की भाजपा सरकार की साजिश करार दिया जाए। कांग्रेस ने इन दलों के भ्रष्टाचार के मामलों में संरक्षक की भूमिका निभाई है। कारण स्पष्ट है यदि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के भ्रष्टाचार के मामले उठाती है तो उसे अपनी गिरेबां में भी झांकना होगा। इससे ये दल एक-दूसरे के भ्रष्टाचार के मामलों में छिछालेदार करने लगेंगे। ऐसी हास्यास्पद स्थिति से बचने के लिए ये दल एक-दूसरे के भ्रष्टाचार का जिक्र नहीं करते हैं। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मामलों में मौन साधे रखा है। यहां तक कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भ्रष्टाचार का जिक्र तक करना जरूरी नहीं समझा। कांग्रेस को अंदाजा था कि इसका जिक्र करते ही भाजपा गठबंधन खिल्ली उड़ाने से चूकेगा नहीं। यही वजह रही कि कांग्रेस घोषणा पत्र में देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खात्मे को लेकर कोई वादा नहीं किया। आश्चर्य यह है कि झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के घरेलू सहयोगी जहांगीर के यहां छापा मार कर प्रवर्तन निदेशालय ने 35 करोड़ रुपए बरामद किए। इस पर भी मंत्री आलम ने त्यागपत्र देना जरूरी नहीं समझा।
झारखंड में सत्ता में शामिल कांग्रेस ने आलम के इस्तीफे की मांग तक नहीं की। अलबत्ता कांग्रेस ने इससे अपना दामन बचाने की कोशिश जरूर की। लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में आयोजित राहुल गांधी की सभा में मंच पर कांग्रेस कोटे से ग्रामीण विकास मंत्री बने आलमगीर आलम को जगह नहीं मिली। कांग्रेस ने आलमगीर को महज यह संदेश देकर औपचारिकता निभाई कि पहले जांच से बरी होकर आओ। इससे पहले झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। सोरेन को जमानत नहीं मिल सकी है। पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन 6 अक्टूबर 2023 को कथित भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। जैसा कि अक्सर होता है, हर भ्रष्टाचारी ऐसे मामलों को फंसाने की साजिश करार देता है, इसी तर्ज पर सोरेन ने भी आरोप से इनकार किया। कांग्रेस ने सोरेन की गिरफ्तारी की निंदा की और इसे संघवाद के लिए झटका बताया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा था कि भ्रष्टाचार में डूबी भाजपा लोकतंत्र को नष्ट करने का अभियान चला रही है। कांग्रेस यह भूल गई कि पिछले साल दिसंबर में भी झारखंड में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कारोबारी धीरज साहू के ठिकानों से इनकम टैक्स ने 350 करोड़ रुपए से ज्यादा कैश बरामद किया था। इस पर साहू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि छापेमारी में जो कैश बरामद किया गया है, वो मेरी शराब की कंपनियों का है। शराब का कारोबार नकदी में ही होता है और इसका कांग्रेस पार्टी से कोई संबंध नहीं है। झारखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 290 करोड़ रुपए से ज्यादा कैश मिला था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने साहू से जुड़े ओडिशा और झारखंड के उनके ठिकानों पर छापेमारी की। इस छापेमारी के दौरान विभाग को अलमारी में करोड़ों रुपए भरे हुए मिले। धीरज साहू के पास कितना कैश बरामद हुआ है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगातार तीन दिन छापेमारी कर नोट गिनने पड़े। आलम यह रहा कि नोट गिनने के लिए लाई गईं मशीनों की क्षमता कम पड़ गई। नोट गिनने के लिए तीन दर्जन मशीनों को मंगाया गया था, जो कम पड़ गईं। पीएम मोदी ने ओडिशा की रैली में नकद बरामदगी का जिक्र किया।
चुनाव प्रचार के लिए ओडिशा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नकद बरामदगी का जिक्र करते हुए, केंद्र द्वारा जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग पर विपक्ष के आरोप का जवाब देते हुए पूछा कि पड़ोसी राज्य झारखंड में नोटों के पहाड़ मिल रहे हैं। मोदी ने कहा कि अब आप ही बताइए, अगर मैं उनकी चोरी, उनकी कमाई, उनकी लूट बंद कर दूं, तो क्या वे मोदी को गाली देंगे या नहीं? गालियों के बावजूद, क्या मुझे आपका पैसा नहीं बचाना चाहिए। झारखंड और भ्रष्टाचार का चोली-दामन का साथ है। संयुक्त बिहार में ही झारखंड में हुए चारा घोटाले से शुरू हुई थी और बड़े भ्रष्टाचार की कहानी आज भी बदस्तूर जारी है। चारा घोटाले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया था। इस घोटाले में पशुओं के चारे की चोरी की गई। 950 करोड़ के इस घोटाले में 53 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि कुल 170 आरोपी बने गए थे। इस मामले का खुलासा 1996 में हुआ था। इसके बाद मधु कोड़ा के मुख्यमंत्री काल में शेल कंपनियों के जरिए काली कमाई को सफेद करने का मामला सामने आया। करीब 4 हजार करोड़ का यह घोटाला अपने आप में देशभर के बड़े घोटालों में से एक था। आज भी मामला अदालत में है। मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जेल भी जाना पड़ा था। अलग झारखंड राज्य की मांग को अटल बिहारी वाजपेयी की तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2000 में पूरा तो कर दिया था, लेकिन जिस मकसद से अलग राज्य की मांग हो रही थी, वह मकसद पीछे छूट गया। झारखंड में लूट का सिलसिला शुरू हो गया। बिहार से अलग झारखंड बनाने की मांग इसलिए हो रही थी कि इसका समुचित विकास अपने ही संसाधनों से सुचारू ढंग से हो पाएगा। इसकी झलक भी पहले बजट में दिखी थी। राज्य सरकार का शुरुआती बजट सरप्लस था। झारखंड अलग राज्य बनने के बाद जिस विकास और खुशहाली का सपना लोगों ने देखा था, वह तो पूरा नहीं हुआ, उल्टे यहां लूट की संस्कृति दिन प्रतिदिन मजबूत होती गई।
हाल के तीन साल में जिस तरह नौकरशाहों और नेताओं के घर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम नोटों का जखीरा बरामद करती आ रही है, उससे तो झारखंड का अघोषित नाम लूटखंड हो गया है। गौरतलब है कि दिल्ली शराब घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। ईडी तीन दक्षिणी राज्यों तेलंगाना, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की भी जांच कर रही है। सभी नेताओं ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है। क्षेत्रीय दल चाहे झारखंड का हो, दिल्ली, तमिलनाडू या फिर पश्चिमी बंगाल के, सब आकंठ तक भ्रष्टाचार के मामलों में डूबे हुए हैं। इन राज्यों के विपक्षी दलों के करीब एक दर्जन नेता जेलों में बंद हैं। इनमें से ज्यादातर की जमानत तक नहीं हो सकी है। इसी से विपक्षी दलों का यह आरोप कमजोर पड़ जाता है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा जांच एजेंसियों का दुरुपयोग राजनीतिक रंजिश के कारण कर रही है। अभी तक किसी भी न्यायालय ने नेताओं के भ्रष्टाचार के मामले में यह निर्णय नहीं दिया कि केंद्रीय एजेंसियों ने दुर्भावनावश कार्रवाई की है। कांग्रेस इस मुद्दे पर मुंह इसलिए नहीं खोल सकती है, क्योंकि कांग्रेस का इतिहास और वर्तमान भी भ्रष्टाचार के आरोपों से रंगा हुआ है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *