नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा झटका देते हुए अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को उनके चाचा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (सपा) अध्यक्ष शरद पवार के नाम व अविभाजित पार्टी का चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि अजित पवार एनसीपी अब एक स्वतंत्र इकाई है, इसलिए उसे शरद पवार की पहचान और चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ का उपयोग नहीं करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा, ‘जब चुनाव आते हैं तो आपको उनके (शरद पवार) नाम की जरूरत होती है और जब चुनाव नहीं होते, तो आपको उनकी जरूरत नहीं होती। अब, चूंकि आपकी एक स्वतंत्र पहचान है, आपको उसी के साथ आगे बढ़ना चाहिए।”
पीठ ने कहा, “आप एक अलग राजनीतिक दल हैं, तो उनकी (शरद पवार) तस्वीरों आदि का उपयोग क्यों करें? अब अपनी पहचान के साथ जाएं, आपने उनके साथ नहीं रहने का फैसला किया है।” अदालत ने सुझाव दिया कि अजित एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर यह बता सकते हैं कि उनका शरद पवार और एनसीपी-सपा से कोई संबंध नहीं है।
अदालत ने यह आदेश एनसीपी (सपा) की एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के 6 फरवरी के फैसले को चुनौती दी गई थी। आयोने ने 25 साल पहले शरद पवार द्वारा स्थापित मूल पार्टी और उसके ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न को अजित पवार को दे दिया था। बाद में महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने भी इसी तरह का फैसला सुनाया था।
ईसीआई और विधानसभा अध्यक्ष दोनों ने अजीत पवार गुट को ‘असली एनसीपी’ घोषित किया, जबकि शरद पवार गुट को एक नया नाम (एनसीपी-सपा) और ‘ट्रम्पेटर’ चुनाव चिह्न आवंटित किया गया।
एनसीपी सत्तारूढ़ महायुति सरकार का हिस्सा है। इसके प्रमुख मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (शिवसेना) हैं और भारतीय जनता पार्टी के देवेन्द्र फड़णवीस और अजित पवार उपमुख्यमंत्री हैं। सुप्रीम कोर्ट के नवीनतम फैसले का एनसीपी पर बड़ा राजनीतिक असर हो सकता है, जो 2024 का लोकसभा चुनाव ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न पर लड़ने की योजना बना रही थी।