संगीतविद, शिक्षक,छात्र,छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।संगोष्ठी का आरंभ में सर्वप्रथम सुश्री नंदिनी के द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति दी गई,जिसमे वंदना ,तीनताल,तराना और ठुमरी जैसे सांगीतिक अवयवों का समावेश था।द्वितीय प्रस्तुति सुश्री मोमिता वत्स घोष के द्वारा ओडिसी की प्रस्तुति दी गई,जिसमे राधा एवम सखी के संवाद को कुशलता के साथ प्रस्तुत किया गया।दोनो कलाकारों की प्रस्तुति सराहनीय थी।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर चंदन चौबे जी उपस्थित थे।
हिन्दी विभाग,दिल्ली विश्विद्यालय प्रोफेसर चंदन चौबे जी ने अपने उद्बोधन में ‘कला साहित्य में भारत बोध’ विषय पर चर्चा की।उन्होंने कहा कि अगर भारत को समझना है तो यहां के कला परंपराओं में निहित संस्कृति चिह्नो को समझना होगा।यहां की उदार संस्कृति सर्वदा परिष्करण को स्वीकृति देती है,यहां के षटदर्शन में बौद्धिक विरासत और कला और साहित्य में सांस्कृतिक विरासत समाहित है। इन्ही विरासत को समझ कर के भारत का बोध कर सकते हैं।
कार्यक्रम का संचालन श्री कुलदीप शर्मा ने किया।कार्यक्रम को सफल बनाने में सुश्री तरुश्री,बृजेश, सत्यम सहित समस्त कला संकुल परिवार के सदस्यों की प्रयास सराहनीय रही।