सोनभद्र, उत्तर प्रदेश। सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच’ संबद्ध ‘सोनभद्र मानव सेवा आश्रम ट्रस्ट’ का स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर “एक शाम, वतन के नाम” वर्चुअल कवि सम्मेलन कर वीर शहीदों को याद किया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ कच्छ गुजरात की पावन धरा से पधारी मशहूर कवयित्री डॉ. संगीता पाल ने अपनी सुमधुर वाणी वंदना “नमन शारदे मां, नमन शारदे मां, भवर बीच है नैया, हमें तार दे मां“ से किया। कार्यक्रम संचालन चेन्नई तमिलनाडु से शिरकत कर रही युवा कवयित्री प्रतिभा पाण्डेय ‘प्रति’ ने किया। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष व लोकगीत गायक श्याम बिहारी मधुर ने किया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए भागलपुर बिहार से वरिष्ठ कवयित्री करुणा सिंह कल्पना “मोहब्बत का रंग अभी जिंदा है यारों, धड़कनों में दौड़ता लहू परिंदा है यारों,जब तक वह मेरी नजरों के सामने है, तब तक मेरे हाथों में तिरंगा है यारों।” , गाजियाबाद से आयुषी गुप्ता “ देशहित हेतु जो भी वीर बलिदान हुए, भारती की उन संतान को नमन है, मतवाले आज़ादी के राजगुरु , सुखदेव भगत के दिए बलिदान को नमन है।”, राजस्थान से आशा पंकज मूंदड़ा “ वंदे मातरम, वंदे मातरम, गाएंगे जी, चाहे सिर कटे, चाहे सूली पर चढ़ाइए, द्वेषता की आग, जो लगाई आतताइयो ने, प्रीत की फुहार से, अब उसको बुझाइए।”, मुंबई महाराष्ट्र से मनीषा श्रेयसी “ तिरंगा फिर लहराया, मिली विरासत में हमें स्वतंत्रता, तिरंगा फिर लहराया, आओ सोचें,अब तक हमने, क्या खोया? क्या पाया?”, मध्य प्रदेश से ओज कवि आशीष त्रिवेदी “जीवन ज्योति जननी की, जननी की दी हुई है काया, मैं जाया भारत जननी का, सब कुछ यहीं से है पाया।”, हिमाचल प्रदेश से संस्था की उप सचिव अचला एस गुलेरिया ” मेरे देश के नजारे, देखो जग से भी न्यारे, हम सब को हैं प्यारे, हम सब को हैं प्यारे” , शामली उत्तर प्रदेश से रमेश चंद्रा, सोनभद्र से कृष्ण कुमार साहनी ने अपने देश भक्ति काव्य पाठ से पटल पर चार चांद लगा दिया। इसके साथ ही अलवर राजस्थान से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विपुल कुमार भवालिया ने अपनी रचना “ भिन्न-भिन्न यह बोली भाषा, करती मैत्री की अभिलाषा, दूर देश से जो भी आए, उनकी रही ये भारत आशा” सुनाकर ख़ूब तालियां बटोरी। संस्था के राष्ट्रीय सचिव कविवर अवध बिहारी अवध ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। अंत में संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम बिहारी मधुर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन के साथ एक लोक गीत “ कहे सीमा के वीर सिपाही, तिरंगा गगन में लहराई” प्रस्तुत कर सभी सम्मानित रचनाकारों एवं श्रोता बंधुओं को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सभी साहित्य अनुरागियों को डिजिटल सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया।