नई दिल्ली, 06 अप्रैल। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में नेट अभ्यर्थियों की असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर भर्ती के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई गाईडलाईन जारी की है। यूजीसी ने कहा है कि डीयू उसी प्रक्रिया को अपनाये जो प्रक्रिया सभी विश्वविद्यालयों में अपनाई जा रही है। यूजीसी के द्वारा की गई सिफारिश से जहां नए शोध विद्यार्थी काफी खुश हैं तो वहीं इस मुद्दे पर फिर से बहस छिड़ गई है। यूजीसी की सामान्य गाईडलाईन के अनुसार, अगर कोई विद्यार्थी देश के किसी भी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हेतु आवेदन करना चाहे तो उसे स्नातकोत्तर (एमए) और (नेट) पास होना चाहिए। लेकिन डीयू में वर्ष 2011 से इस योग्यता के साथ-साथ कॉलेज हेतु यूजीसी द्वारा निर्धारित वार्षिक मूल्यांकन सूचकांक (एपीआई) के कम से कम 60 अंक और डिपार्टमेंट्स के लिए 75 अंक अनिवार्य हैं। नहीं तो वो स्क्रीनिंग में ही बाहर कर दिया जाता है। इस एपीआई प्रक्रिया का विरोध कर रहे छात्र संगठनों का कहना है कि इतने ज्यादा पॉइंट्स शोधपत्र छापने और अध्यापन-अनुभव के बिना पाना असंभव है। ऐसे में युवा शोधार्थी या उच्च अंक प्राप्त करने वाले योग्य विद्यार्थियों को भी इस पूरी प्रक्रिया से ही बाहर कर दिया जा रहा है। यह सरासर यूजीसी के नियमों का उलंघन है तथा विद्यार्थियों के साथ भेदभाव है। इसलिए एबीवीपी मांग करती है कि यह भेदभाव की नीति बंद की जाए और देश भर के अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह ही डीयू में भी सभी योग्य उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान किए जाएं।