नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मंदिर में चांदी के गहनों की चोरी के मामले में मजिस्ट्रियल कोर्ट की ओर से दो लोगों को सुनाई गई सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि इन दोनों को “ईश्वर का डर नहीं” था।
सत्र अदालत ने दोनों चोरों को छह महीने तक जेल में रखने का आदेश दिया। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के साईं बाबा मंदिर से से दोनों ने चांदी के गहने चुराए थे। इस मामले में मजिस्ट्रियल कोर्ट ने महेंद्र और चरणजीत को छह महीने कारावास की सजा सुनाई थी।
कोर्ट का फैसला मजिस्ट्रियल कोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई अपील के बाद आया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीरा भरहोके ने कहा कि मैं ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों से सहमत हूं कि मंदिर से संपत्ति चुराने वाले अपराधियों के आचरण से पता चलता है कि उन्हें कानून और भगवान का डर नहीं है। इस आचरण को हतोत्साहित करने के लिए यह जरूरी है कि उन्हें सजा उनके जुर्म के अनुपात में ही होनी चाहिए।
सत्र अदालत ने जेल की सजा की अवधि को रद्द करने से इनकार कर दिया। जज ने कहा कि मैंने अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों की गवाही सुनी है, क्रॉस एक्जामिनेशन में भी वे सही पाए गए हैं। वे भरोसेमंद और विश्वसनीय गवाह हैं।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, जून 2012 में श्री हिंदू धरम प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष त्रिलोक नाथ धीर ने एक शिकायत दर्ज कराई थी कि दोनों ने मंदिर से एक किलो चांदी के सामान चुराए हैं। इन दोनों को आईपीसी की धारा 411 के तहत जुलाई में गिरफ्तार किया गया था।