नई दिल्ली ” भारत सरकार के सभी कर्मियों का यह संवैधानिक दायित्व है कि वे अपना सरकारी काम काज नागरी लिपि में लिखी हिंदी में करें। संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343(1) में यह उल्लिखित है कि भारतीय संघ की राजभाषा नागरी लिपि में लिखी हुई हिंदी भाषा है। अहिंदीभाषी कर्मियों के लिए भारत सरकार ने हिंदी प्रशिक्षण की अनेक योजनाएं चलाई हैं। नागरी लिपि परिषद जैसी स्वयंसेवी अनेक संस्थाएं भी इसमें अपना योगदान दे रहीं हैं।” उक्त विचार नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रमुख एकक ‘ रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान ‘ के हिंदी माह का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।
प्रारंभ में संस्थान की निदेशक श्रीमती अरुणिमा गुप्ता ने डॉ पाल का अपने कार्यालय में स्वागत किया और संस्थान की गतिविधियों की जानकारी दी। तत्पश्चात डॉ पाल ने वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ डी रवि के साथ दीप प्रज्ज्वलित हिंदी माह का उद्घाटन किया। मूल तमिल भाषी डॉ रवि ने हिंदी में भाषण देते हुए संस्थान की ओर से डॉ पाल का आभार प्रकट किया। डॉ डी रवि ने शाॅल, स्मृति चिन्ह और संस्थान का प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सहायक निदेशक (राजभाषा) डॉ अशोक कुमार ने संस्थान के बारे में स्वरचित गीत प्रस्तुत किया। फिर डॉ पाल का परिचय देते हुए कहा कि डॉ पाल आकाशवाणी की सेवा से निवृत्त होने के बाद राष्ट्रीय महत्व की संस्था नागरी लिपि परिषद का सफल संचालन करते हुए अनेक संस्थाओं को अपनी मानद सेवा दे रहे हैं। अखिल विश्व हिंदी समिति, न्यूयॉर्क, अमेरिका की मुख पत्रिका सौरभ का सफल संपादन करते हुए वैश्विक स्तर पर भी नागरी हिंदी के प्रचार-प्रसार का सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
डॉ पाल ने अपने वक्तव्य में हिंदी भाषा की विकास यात्रा और संपर्क भाषा के रूप में अखिल भारतीय स्वीकारोक्ति, संविधान सभा में राजभाषा के घटनाक्रम पर विस्तार से प्रकाश डाला। समारोह के संयोजक सहायक निदेशक राजभाषा डॉ अशोक कुमार ने मुख्य अतिथि डॉ पाल का धन्यवाद ज्ञापित किया। तत्पश्चात संस्थान के प्रतिभागियों ने इस अवसर पर आयोजित कविता प्रतियोगिता में बढ़ चढ़ कर भाग लिया । संस्थान के लेखा अधिकारी श्री राजकुमार ने कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया।