
नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय के 101 वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि आने वाले दिनों में दिल्ली को दुनिया का नॉलेज हब बनाने का संकल्प लें। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय को इसका नेतृत्व लेने का भी आह्वान किया। इस दौरान धर्मेन्द्र प्रधान ने अपने हाथों से टैब पर क्लिक करके 166494 विद्यार्थियों को डिजिटल डिग्री प्रदान की। इसके साथ ही शिक्षा मंत्री ने 10 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को अपने हाथों से मेडल प्रदान किए। दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों को कहा कि परिश्रम असंभव लगने वाले कार्यों को भी संभव बना देता है।
शिक्षा मंत्री ने अपने दीक्षांत भाषण में कहा कि देश का कोई जिला या गाँव नहीं होगा जहां डीयू के फूट प्रिंट न पहुंचे हों। डीयू केवल एक विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि लघु भारत है। यहां प्रत्यक्ष और ओपन लर्निंग मोड में करीब 7 लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं। यहां दुनिया के 85 देशों के विद्यार्थी भी पढ़ते हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने नव ग्रेजुएट विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज से आपकी नई ज़िंदगी की शुरुआत हो रही है। उन्होंने कहा कि शायद डीयू के विद्यार्थियों में से ही देश का नया प्रधानमंत्री निकल सकता है। उन्होंने डीयू की पूर्व विद्यार्थी श्रीमती रेखा गुप्ता के दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने पर बधाई देते हुए कहा कि यह डीयू के लिए गौरव का क्षण है। इसके साथ ही उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली को याद करते हुए कहा कि डीयू से निकल कर अनेकों विभूतियों ने देश का नाम रोशन किया है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां से आप सोशल प्रेक्टिस और सोशल स्किल्स भी लेकर निकाल रहे हैं जो ज़िंदगी में बहुत काम आएंगी। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व स्तर पर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 आई है। मंत्री ने डीयू एनईपी के सबसे पहले लागू करने पर बधाई भी दी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है और यह तभी संभव होगा जब डीयू के नेतृत्व में एनईपी को पूरे देश में सही से लागू किया जाए। हमें जड़ों से भी जुड़े रहना है और भविष्य को भी देखना होगा, तभी भविष्य के लिए तैयार होंगे। उन्होंने डीयू के विस्तार पर खुशी जताते हुए कहा कि डीयू के उत्तरी और दक्षिणी परिसर पहले से थे, अब कुलपति प्रो. योगेश सिंह के नेतृत्व में पूर्वी और पश्चिमी परिसर भी बन रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा मंत्री का स्वागत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के 102 वर्षों की गौरवशाली यात्रा का विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत किया। कुलपति ने डिग्रियों, पुरस्कारों एवं मेडलों के आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने दीक्षांत समारोह में भाग लेने वाले विद्यार्थियों से कहा कि पेड़ जितना ऊंचा होता है, उसकी जड़ें भी उतनी गहरी होनी चाहियें, नहीं तो एक ही आँधी में वह गिर जाएगा। इसलिए आपको भी ऊंचे और गहरी जड़ों वाले पेड़ बनना है। उन्होंने कहा कि यदि मन में आनंद और विश्व कल्याण की भावना हो तभी आप अच्छा कर पाएंगे। आपे हित और देश हित में कोई विरोध नहीं होना चाहिए। यदि विरोध हो तो आपको अपना हित छोड़ कर देश का हित देखना है। इसके साथ ही कुलपति ने शिक्षकों से कहा कि शिक्षक को पढ़ाने में आनंद आना चाहिए। अगर किसी शिक्षक को पढ़ाने में में आनंद नहीं आता तो फिर वह गलत प्रोफेशन में आ गया है। कुलपति ने विद्यार्थियों से कहा कि आप सबके होने से ही हम प्रतिष्ठित हैं। डीयू को आप पर गर्व है और हमें सदा इसी प्रकार गौरवान्वित करते रहना। इसके साथ ही कुलपति ने सभी से संकल्प लिया कि अपनी ज़िंदगी में कोई भी ऐसा काम न करें जो देश के खिलाफ हो।
समारोह के दूसरे चरण में मेडल और पुरस्कार प्राप्त करने वाले बाकी सभी विद्यार्थियों को डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा मेडल/ पुरस्कार प्रदान किए गए। इस अवसर पर डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी, दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता और परीक्षा नियंत्रक प्रो. गुरप्रीत सिंह टूटेजा सहित सभी डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और हजारों विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक उपस्थित रहे।
623 को मिली पीएचडी की डिग्री
दिल्ली विश्वविद्यालय के 101 वें दीक्षांत समारोह में 316 पुरुष और 307 महिला विद्यार्थियों को मिलाकर कुल 623 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई। इनके अलावा डीयू के रेगुलर विद्यार्थियों और एनसीडबल्यूईबी के विद्यार्थियों को मिलाकर कुल 83902 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गई जिनमें से 77227 स्नातक, 6646 स्नातकोत्तर और 29 पांच वर्षीय प्रोग्रामों के विद्यार्थी शामिल हैं। दीक्षांत समारोह के दौरान कुल 194 गोल्ड एवं सिल्वर मेडल तथा पुरस्कार भी प्रदान किए गए। यूजी और पीजी के विद्यार्थियों को कुल 159 गोल्ड मेडल एवं एक सिल्वर मेडल प्रदान किए गए। इसी तरह यूजी और पीजी के विद्यार्थियों को कुल 34 पुरस्कार भी प्रदान किए गए। इनके अलावा एसओएल के 82592 विद्यार्थियों को भी डिग्रियां प्रदान की गई जिनमें से 79742 स्नातक और 2850 स्नातकोत्तर के विद्यार्थी हैं।
शिक्षा मंत्री ने अपने हाथों से 10 विद्यार्थियों को प्रदान किए गए मेडल
शिक्षा मंत्री ने मंच से 10 विद्यार्थियों को अपने हाथों से मैडल और पुरस्कार प्रदान किए। इनमें राजकुमारी अमृत कौर कॉलेज ऑफ नर्सिंग की तापसी मण्डल को एमएससी नर्सिंग के लिए द प्रेसीडेंट्स गोल्ड मेडल तथा होली फैमिली कॉलेज ऑफ नर्सिंग की अंजलि शुक्ल को बीएससी (ऑनर्स) नर्सिंग के लिए द प्रेसीडेंट्स सिल्वर मेडल प्रदान किए गए।
आर्ट्स स्ट्रीम में सेंट स्टीफन कॉलेज के धर्मेंद्र कुमार को वाइस चांसलर्स गोल्ड मेडल (फिजिकल चेलेंजड़ स्टूडेंट), कॉमर्स स्ट्रीम में दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज की मुस्कान शर्मा को वाइस चांसलर्स गोल्ड मेडल (फिजिकल चेलेंजड़ स्टूडेंट) और साइंस स्ट्रीम में हिन्दू कॉलेज के अंशुल तंवर को वाइस चांसलर्स गोल्ड मेडल (फिजिकल चेलेंजड़ स्टूडेंट) प्रदान किए गए। इनके अलावा मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के ऋत्विक कुमार साहू को आर. विश्वनाथन मेडल-2022 सहित कुल 6 पुरस्कार प्रदान किए गए। इसी तरह हिन्दू कॉलेज के जयंत कुमार गुप्ता को 5 पुरस्कार, मिरांडा हाउस से अंकिता चौधरी को 3, हिन्दू कॉलेज से तर्निजा मिड्ढा को 3, कॉमर्स विभाग से एमए इकोनॉमिक्स की तनिशा बंसल को 3, हिन्दू कॉलेज की के. कार्तिका को 3 और सेंट स्टीफन कॉलेज की तृप्ति गर्ग को दो पुरस्कार प्रदान किए गए।