नई दिल्ली, 05 अप्रैल। दिल्ली हाई कोर्ट ने दहेज हत्या के मामले में निचली अदालत द्वारा युवक को सुनाई गई 10 साल कैद की सजा को बरकरार रखा है। पेश मामले में दहेज उत्पीड़न से तंग आकर आत्मदाह कर लिया था। दोषी दुर्गा दास ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। न्यायमूर्ति पी.एस. तेजी की पीठ ने आदेश में कहा कि वर्ष 2000 में ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाया गया फैसला एकदम सही है। ऐसे में उसे सजा काटनी ही होगी। दोषी को जेल प्रशासन के समक्ष सरेंडर करने के निर्देश दिए गए। अदालत ने कहा, मृतका के परिजनों के बयान से यह स्पष्ट है कि दहेज के लिए उसे प्रताड़ित किया जाता था। इस अवैध मांग को पूरा करने के लिए मृतका का पति और ससुर उसपर दबाव डालते थे। यह भी पूरी तरह से साबित हुआ है कि खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्महत्या करने से पहले भी मृतका को प्रताड़ना का सामना करना पड़ा था। यह मामला पूरी तरह से दहेज हत्या की श्रेणी में सही बैठता है। अप्रैल 1995 में महिला की दोषी से शादी हुई थी। कुछ माह बाद अगस्त में उसने दहेज प्रताड़ना से तंग आकर मौत को गले लगा लिया था।