नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय के 102 वर्ष के इतिहास में पहली बार कार्यकारी परिषद (ईसी) और अकादमिक परिषद (एसी) की संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह की अध्यक्षता में ऐतिहासिक काउंसिल हाल में आयोजित इस ऐतिहासिक सभा में दिल्ली विश्वविद्यालय के उन 12 कॉलेजों को लेकर ऐतिहासिक रेजुलेशन पास किया गया जिनके मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डीयू के दक्षिण दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह (एसपीएस) की अध्यक्षता में एक ईसी कमेटी गठित की थी।
इस समिति की रिपोर्ट को 27 जुलाई को आयोजित डीयू ईसी की 1270 वीं बैठक में सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया था। आज की इस संयुक्त बैठक में इस समिति की रिपोर्ट को समूहिक रूप से स्वीकृत करते हुए इस रिपोर्ट के निष्कर्षों और सिफारिशों से दिल्ली सरकार को अवगत कराने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही आज की बैठक के एजेंडे में शामिल एक अन्य मुद्दे के अनुसार कॉलेज शिक्षकों द्वारा पीएचडी सुपरविजन के मामले में भी कुलपति प्रो. योगेश सिंह की सिफारिश पर एक कमेटी का गठन किया गया है।
संयुक्त बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने एसपीएस समिति की रिपोर्ट में गहनता से सभी मुद्दों को सम्माहित करने पर इस रिपोर्ट की सराहना भी की गई। करीब साढ़े पाँच घंटे चली इस संयुक्त बैठक में गहन विचार-विमर्श के पश्चात निर्णय लिया गया कि रिपोर्ट के बारे में दिल्ली सरकार को अवगत करवाते हुए इन 12 कॉलेजों की दिक्कतों को लेकर सुधार हेतु सरकार से अनुरोध भी किया जाएगा। इसके लिए तीन मुख्य बिन्दुओं को लेकर सरकार से अनुरोध किया जाएगा।
रेजुलेशन के बारे में जानकारी देते हुए डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि दिल्ली सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि दिल्ली विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानदंडों और प्रावधानों के अनुसार संबंधित कॉलेजों के शासी निकाय द्वारा सृजित पदों (शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों) को पूर्वव्यापी (ex-post facto approval) स्वीकृति प्रदान की जाए और इसमें तेजी लाई जाए। ये पद उच्च शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार की सहमति से पाठ्यक्रमों को चलाने के लिए सृजित किए गए थे।
दिल्ली सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि संस्थान के शैक्षणिक मानकों को बनाए रखने के लिए सभी 12 कॉलेजों के संबंध में घाटे सहित निधियों (वेतन और वेतन के अलावा) को समय पर जारी करना सुनिश्चित किया जाए। विद्यार्थियों के व्यापक हित में इन कॉलेजों के भवनों और अन्य बुनियादी ढांचे की उचित मरम्मत और समय पर रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए पीडब्ल्यूडी को निर्देश दिये जाएँ। इसके अलावा दोनों परिषदों की संयुक्त स्वीकृति से इन 12 संस्थानों के हित में उचित समझे जाने वाले किसी भी कदम को उठाने के लिए कुलपति को अधिकृत किया।
12 कॉलेजों को लेकर क्या कहती है एसपीएस समिति की रिपोर्ट?
12 कॉलेजों को लेकर गठित श्री प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार ये बारह कॉलेज निर्धारित मानदंडों के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय के घटक कॉलेज हैं और डीयू का अभिन्न अंग हैं। इनकी मान्यता रद्द नहीं की जा सकती। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों को लेकर एक दिसंबर, 2023 को दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री द्वारा केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भेजे पत्र के माध्यम से लगाए गए आरोपों पर 15 दिसंबर को आयोजित हुई ईसी बैठक में जीरो आवर के दौरान गहन विचार विमर्श हुआ था। उस समय कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा इस मुद्दे पर एक ईसी कमेटी के गठन का सुझाव दिया गया जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। उसके पश्चात दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में गठित इस समिति में सदस्यों के रूप में डीयू ईसी के चांसलर नामित सदस्य प्रो. इंद्र मोहन कपाही, प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी, लेडी श्री राम कॉलेज फॉर विमेन की प्रिंसिपल प्रो. सुमन शर्मा, ईसी सदस्य मोनिका अरोड़ा, ईसी सदस्य राजपाल सिंह पवार, ईसी सदस्य अशोक अग्रवाल, ईसी सदस्य डॉ. एल.एस. चौधरी, ईसी सदस्य सुनील कुमार शर्मा और ईसी सदस्य सीमा दास को शामिल किया गया था। समिति ने चार बैठकें की और अपनी रिपोर्ट तैयार की। उस रिपोर्ट को 27 जुलाई को आयोजित ईसी बैठक में विचारार्थ पटल पर रखा गया था। समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के पश्चात उसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया था।
समिति की रिपोर्ट के अनुसार सभी बारह कॉलेजों में शैक्षणिक एवं गैर-शिक्षण पदों का सृजन नियमानुसार किया गया है। शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति दिल्ली विश्वविद्यालय के भर्ती नियमों और यूजीसी द्वारा निर्धारित मानदंडों/पात्रता मानदंडों के अनुसार की गई थी। एक मद से दूसरे मद में धन का कोई अनधिकृत विनियोग नहीं है। स्वच्छता और सुरक्षा के लिए कोई मनमाना और अनियमित भुगतान नहीं है। कॉलेजों में कोई भी वित्तीय अनियमितता नहीं है। समिति की रिपोर्ट के अनुसार ये बारह कॉलेज निर्धारित मानदंडों के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय के घटक कॉलेज हैं और डीयू का अभिन्न अंग हैं। इनकी मान्यता रद्द नहीं की जा सकती। ऐसे में, इन कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय से असंबद्ध करने का कोई भी प्रयास न तो कानूनी रूप से उचित है और न ही विद्यार्थियों, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों और दिल्ली विश्वविद्यालय के शैक्षणिक समुदाय के हित में है। यह दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिनियम, प्रतिमाओं, अध्यादेशों और दिशानिर्देशों और कानून के अनुसार निर्धारित प्रक्रिया का भी उल्लंघन है। इसलिए, एनसीटी दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री सुश्री आतिशी का पत्र (दिनांक 01.12.2023 और नोट दिनांक 19.01.2024) कानूनी रूप से मान्य नहीं है क्योंकि यह विश्वविद्यालय के अधिनियम, प्रतिमाओं और अध्यादेशों के प्रावधान का उल्लंघन करता है। इसलिए इसे तत्काल वापस लेने की जरूरत है।