
-योगाचार्य सुरक्षित गोस्वामी- तस्मादज्ञानसम्भूतं हृत्स्थं ज्ञानसिनात्मनः। छित्त्वैनं संशयं योगमातिष्ठोत्तिष्ठ भारत।। 4/42 अर्थः हे भारत! ह्रदय में स्थित अज्ञान से उपजे इस संशय को ज्ञानरूपी तलवार से छिन्न-भिन्न कर दे और योग में स्थित होकर खड़ा हो जा। व्याख्याः व्यक्ति जीवनभर विकारों में खड़ा रहता है, ...आगे पढ़ें asiakhabar.com | June 3, 2023 | 2:34 pm IST