
विकास गुप्ता बलात्कार, जिसे सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सुनकर हैवानियत मानों किसी अबला के दर्द का ऐहसास कराने लगता है। बलात्कार एक मानसिकता है, वर्ना जिस अज्ञान बालिका को इसका “ब” भी नहीं मालूम हैवान उसको भी अपना कोपभाजन बनाने से बाज ...आगे पढ़ें asiakhabar.com | December 4, 2019 | 4:20 pm IST