
लोकतंत्र में विचारों का जिंदा रहना बेहद आवश्यक है। विचारों में सहमति और असहमति भी जरूरी है, लेकिन अभिव्यक्ति जब हिंसात्मक हो जाती है तो वह अतिवाद की श्रेणी में आ जाती है। विचारों की स्वतंत्रता हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। सवाल तब उठता ...आगे पढ़ें asiakhabar.com | January 2, 2020 | 5:49 pm IST