-सनत जैन-
दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का एक वीडियो भाजपा ने वायरल किया है। इस वीडियो में
राजेंद्र पाल गौतम लगभग जय भीम कार्यक्रम में बौद्ध धर्म की शपथ दिलाते नजर आ रहे हैं। यह
कार्यक्रम अंबेडकर भवन करोल बाग में हुआ था। अंबेडकर भवन मैं 10000 बौद्ध दीक्षा हुई। चलो
बुद्ध की ओर जय भीम बुलाता है। कार्यक्रम में राजेंद्र पाल गौतम ने ब्रह्माद्व विष्णुद्व महेशद्व
राम और कृष्ण को ईश्वर ना मानने और कभी इनकी पूजा नहीं करने की शपथ दिलाई। गौतम ने
तथागत गौतम बुद्ध के धर्म में घर वापसी पर जाति विहीन और छुआछूत मुक्त भारत बनाने की
शपथ ली। नमो बुद्धाय, जय भीम के नारे लगे।
इस वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा नेता राजेंद्र पाल गौतम और अरविंद केजरीवाल पर भड़क
गई। आम आदमी पार्टी को हिंदू विरोधी बता दिया। सांसद मनोज तिवारी ने लिखा इतना हिंदू विरोधी
क्यों है। हिंदू धर्म के खिलाफ शपथ ले और दिला भी रहे हैं। मनोज तिवारी ने इसे हिंदू और बौद्ध
धर्म का अपमान बताया। राजेंद्र पाल गौतम को दंगाई बताकर पार्टी से हटाने की मांग कर दी।
भाजपा नेता कुलजीत सिंह चहल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा।
भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा, विनोद बंसल ने जिहादी तुष्टिकरण और ईसाई मिशनरियों के
संरक्षण के साथ केजरीवाल सरकार को धर्मांतरण का दोषी बता दिया। वही गौरव भाटिया ने हिंदुओं
के देवताओं को अपमानित करने का आरोप लगाया। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने भी
मंत्री को सजा देने की मांग कर दी।
पिछले वर्षों में जिस तरह से हिंदू-मुस्लिम, धर्म एवं जाति के आधार पर समाज को बांटने की जो
राजनीति चल रही है। वह अपने चरम पर पहुंच गई है। अब हिंदुओं को हिन्दू भगवानों के नाम पर
बांटा जा रहा है। महाराष्ट्र में मराठा बनाम हिंदू, तमिलनाडु हो या आंध्रा हो। क्षेत्रीय पूजा-पाठ विधान
भाषा संस्कृति को नजरअंदाज करते हुए। जिस तरह से हिंदू वाद सारे देश में फैलाया जा रहा है। वह
अपने चरम पर पहुंच चुका है। पिछले वर्षों में जिस तरह से सामाजिक व्यवस्था में धर्म के नाम पर
जहर घोला जा रहा था। उसमें धर्म और जाति के साथ-साथ अब सांस्कृतिक कार्यक्रम भी निशाने पर
आ गए हैं।
हिंदू आस्था के नाम पर जिस तरह से एक आतंक का वातावरण देश में बनाया जा रहा है। धार्मिक
जातीय और संस्कृति के आधार पर सभी वर्गों को बांटकर, सत्ता तक पहुंचने की होड़ विभिन्न
राजनीतिक दलों में चल रही है। उसने भारतीय समाज में एक अलग हलचल और तनाव पैदा कर
दिया है। यह पहली बार हो रहा है, ऐसा नहीं है। हर वर्ग और हर समुदाय की अपनी-अपनी आस्थायें
होती हैं। सभी अपनी-अपनी आस्था के अनुसार अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं। कोई किसी को
मानता है, कोई किसी को मानता है। सब के मानने के अपने अपने तरीके हैं। आदिवासियों की
मान्यता अलग है। दलितों के विभिन्न वर्ग में विभिन्न आस्थायें हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी आस्था के
अनुरूप सामाजिक जीवन जीता है। किसी एक आस्था को लेकर बाकी बड़े समुदाय को हम उसकी
आस्था से अलग नहीं कर सकते हैं। अपनी आस्था से किसी दूसरे को आतंकित भी नहीं कर सकते।
भगवान बौद्ध हिंदू थे। महात्मा बुद्ध ने धर्म की स्थापना की। बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में सम्राट
अशोक की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका थी। कलिंग विजय के बाद जो खून खराबा उन्होंने देखा
था। उससे व्यथित होकर उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। बौद्ध धर्म में 22 प्रतिज्ञा लेने पर
दीक्षा मिलती है। मानवता की रक्षा, शराब नहीं पियूंगा, अनुचित व्यवहार नहीं करूंगा, नशा नहीं
करूंगा, हिंसा नहीं करूंगा, मानवता को ही सबसे बड़ा धर्म मानूंगा। जातिवाद और छुआछूत से दूर
रहूंगा, जैसी प्रतिज्ञा सामाजिक सोहाद्र और निजी उत्थान से संबंधित होती हैं।
हर धर्म में उनके अपने इष्ट होते हैं, उनकी मान्यताएं होती हैं। वही सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था
का जुड़ाव होता है। हर व्यक्ति अपने इष्ट को श्रेष्ठ मानता है। यही कारण है कि वह उस धर्म या
जाति को स्वीकार करता है। दलित समुदाय कहीं ना कहीं संघ और भाजपा की रीति-नीति से नाराज
है। भाजपा ने आज जिस तरह से बौद्ध धर्म के इस कार्यक्रम पर प्रतिक्रिया दी है। उससे दोनों पक्षों
की तल्खी स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है। महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी के बीच जिस तरह
से एक दूसरे के खिलाफ वैमनस्य फैलाया जा रहा है। उसकी भारतीय समाज में बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया
हो रही है। भारत जोड़ो यात्रा में दक्षिण के राज्यों में जिस तरह का जन समर्थन जुट रहा है। भारत
जोड़ो यात्रा को एक जन आंदोलन की तरह दिखने लगा है। अति सर्वत्र बर्जियते की तरह धर्म और
आस्था के नाम पर सामाजिक व्यवसथा में जो आतंक फैल रहा है। हिन्दुओं को हिन्दुओं से बांटने
तक की स्थिति में पंहुच गया है। यह स्थिति देश के लिए अच्छी नहीं है।