सैन फ्रांसिस्को (अमेरिका)। अमेरिका में सिख परिवार के चार सदस्यों की
हत्या करने के मामले का संदिग्ध पहले परिवार के लिए ही काम करता था और उसका उनके साथ
पुराना विवाद था। मर्सेड काउंटी के शेरिफ ने यह जानकारी दी।
शेरिफ ने इसे एक ‘‘बेहद घृणित’’ कृत्य बताया।
मर्सेड काउंटी के शेरिफ वर्न वार्नके ने बृहस्पतिवार को बताया कि मारे गए सिख परिवार के रिश्तेदार
इस घटना से बेहद स्तब्ध एवं दुखी हैं। जांचकर्ताओं ने संदिग्ध के खिलाफ एक मामला तैयार किया
है और उसके एक साथी की तलाश की जा रही है।
आरोपी को पहले ही एक मामले में सजा मिल चुकी है। अपहरण के एक दिन बाद उसने खुद को
मारने की कोशिश की थी।
शेरिफ वार्नके ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा, ‘‘ पीड़ित परिवार के रिश्तेदार गम में डूबे हैं। हमें उन्हें
यह दिखाना होगा कि हम उन्हें न्याय दिलाएंगे।’’
उन्होंने बताया कि संदिग्ध जीसस मैनुअल सालगाडो (48) अब भी (बृहस्पतिवार को) अस्पताल में
भर्ती है। अभियोजक उसे मृत्युदंड देने की मांग करेंगे। शेरिफ ने इसे 43 वर्ष के अपने कार्यकाल में
सबसे घिनौने अपराधों में से एक बताया।
उन्होंने सालगाडो के कथित साथी से खुद को पुलिस के हवाले करने को कहा।
शेरिफ वार्नके ने बताया कि मर्सेड शहर में परिवार का ट्रक का व्यवसाय था। वहां उनकी याद में
बृहस्पतिवार से रविवार तक शाम को जुलूस निकाला जाएगा।
आठ माह की बच्ची आरुही धेरी, उसकी मां जसलीन कौर (27), पिता जसदीप सिंह (36) और
जसदीप के भाई अमनदीप सिंह (39) के शव इंडियाना रोड एंड हचिनसन रोड के पास एक बगीचे से
बुधवार शाम बरामद हुए थे। इन लोगों का सोमवार का अपहरण कर लिया गया था।
सार्वजनिक रिकॉर्ड के अनुसार, परिवार ‘यूनिसन ट्रकिंग इंक’ का मालिक था और उनके रिश्तेदारों ने
बताया कि उन्होंने हाल में एक पार्किंग स्थल में एक कार्यालय खोला था।
शेरिफ ने बताया कि संदिग्ध सालगाडो और परिवार के बीच करीब एक साल पुराना विवाद था। इस
संबंध में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है कि सालगाडो वहां क्या काम करता था और उसने कब
तक वहां काम किया।
वार्नके ने कहा कि उन्हें लगता है कि सोमवार सुबह अपहरण करने के एक घंटे के भीतर ही परिवार
की हत्या कर दी गई थी।
शेरिफ कार्यालय के अनुसार, संदिग्ध के परिवार ने अधिकारियों को बताया था कि सालगाडो ने सिख
परिवार का अपहरण करने की बात उनके सामने स्वीकार की थी।
कैलिफोर्निया सुधार एवं पुनर्वास विभाग के अनुसार, संदिग्ध सालगाडो पहले भी डकैती के एक मामले
में दोषी ठहराया जा चुका है। उसे 11 साल की सजा हुई थी और वह 2015 में रिहा हुआ था।