नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को ‘सेना से सेना’ के स्तर पर द्विपक्षीय
सहयोग को बढ़ाने के लिए तंजानियाई समकक्ष स्टरगोमेना लॉरेंस टैक्स के साथ यहां गहन वार्ता की। यह कदम
अफ्रीका से रणनीतिक संबंध और मजबूत बनाने के लिए भारत की व्यापक प्राथमिकता के अनुरूप है।
अधिकारियों ने कहा कि वार्तालाप के दौरान दोनों रक्षा मंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए
रक्षा और औद्योगिक सहयोग के नये उपाय तलाशे। वार्ता के बाद सिंह ने कहा कि भारत और तंजानिया समान
रणनीतिक क्षेत्र साझा करते हैं और नई दिल्ली अफ्रीकी राष्ट्र को ‘पश्चिमी हिंद महासागर के प्रमुख भागीदार’ के रूप
में देखता है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘नई दिल्ली में तंजानिया के रक्षा मंत्री डॉ. स्टरगोमेना लॉरेंस टैक्स के साथ लाभप्रद बैठक के
दौरान भारत-तंजानिया रक्षा संबंधों की पूरी श्रृंखला की समीक्षा की गई क्योंकि भारत और तंजानिया समान
रणनीतिक क्षेत्र साझा करते हैं। भारत तंजानिया को पश्चिमी हिंद महासागर के एक प्रमुख भागीदार के रूप में
मानता है।’’
सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा और ‘सेना से सेना’ के स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देने की अपार
संभावनाएं हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले दशकों में भारत-तंजानिया साझेदारी बढ़ेगी, जिससे द्विपक्षीय
संबंधों को और अधिक ऊंचाई मिलेगी।
पिछले कुछ वर्षों से भारत, अफ्रीका महाद्वीप के साथ रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों सहित समग्र सहयोग के विस्तार पर
ध्यान केंद्रित कर रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अफ्रीका में भारत का कुल निवेश 70 अरब अमेरिकी
डॉलर है, जबकि इसने महाद्वीप के लिए 12.26 अरब अमेरिकी डॉलर की कर्ज सुविधा (लाइन ऑफ क्रेडिट्स) का
विस्तार किया है।
गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफे के पत्र के मुख्य बिंदु
नई दिल्ली, 26 अगस्त (वेब वार्ता)। कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी
आजाद के पार्टी से इस्तीफे के पत्र के कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
-आजाद ने 1970 के दशक में पार्टी में शामिल होने के बाद से कांग्रेस के साथ अपने लंबे जुड़ाव का जिक्र किया।
-आजाद ने राहुल गांधी पर पार्टी के भीतर परामर्श तंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया।
-सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन ‘चापलूसों’ की नई मंडली पार्टी के
मामलों में दखल देने लगी।
-आजाद ने राहुल गांधी द्वारा सरकारी अध्यादेश को पूरे मीडिया के सामने फाड़ने को ‘अपरिपक्वता’ का ‘उदाहरण’
बताया।
-यह हरकत भी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की 2014 में हुई हार का एक कारण रही।
-आजाद ने कहा कि पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए वह पंचमढ़ी (1998), शिमला (2003) और जयपुर (2013)
में हुए पार्टी के मंथन में शामिल रहे हैं, लेकिन तीनों मौकों पर पेश किये गये सलाह-मशवरों पर कभी गौर नहीं
किया गया और न ही अनुशंसाओं को लागू किया गया।
-2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत कार्य योजना ‘‘पिछले नौ वर्षों से अखिल
भारतीय कांग्रेस कमेटी के ‘स्टोररूम’ में पड़ी है।
-वर्ष 2014 से सोनिया गांधी के नेतृत्व में और उसके बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में, कांग्रेस ‘शर्मनाक तरीके’ से दो
लोकसभा चुनाव हार गई है। पार्टी 2014 और 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से 39 में भी हार गई।
-2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी की स्थिति खराब हुई है। चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने आवेग में
आकर अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
-संप्रग सरकार की संस्थागत अखंडता को खत्म करने वाला ‘‘रिमोट कंट्रोल मॉडल’’ अब कांग्रेस पर लागू होता है।
-आपके (सोनिया गांधी) पास सिर्फ नाम का नेतृत्व है, सभी महत्वपूर्ण फैसले या तो राहुल गांधी लेते हैं, या ‘‘फिर
इससे भी बदतर स्थिति में उनके सुरक्षाकर्मी और निजी सहायक लेते हैं।’’
-आजाद ने आरोप लगाया कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले पार्टी के 23 वरिष्ठ
नेताओं को अपशब्द कहे गए, उन्हें अपमानित किया गया, नीचा दिखाया गया।
-उन्होंने नेतृत्व पर आंतरिक चुनाव के नाम पर पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर ‘धोखा’ करने का आरोप लगाया।
-पार्टी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए थी।