भारत में पहली बार हुई दिल की रोबोटिक सर्जरी, मरीजों के लिए ऐसे होगी सुरक्षित

asiakhabar.com | January 5, 2018 | 4:58 pm IST
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अहमदाबाद। अब देश में भी दिल से जुड़ी बीमारियों के इलाज का तरीका बदल जाएगा। अहमदाबाद में मौजूद एपेक्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने पहली बार देश में वैस्क्यूलर रोबोटिक टेक्नोलॉजी के जरिए सर्जरी की शुरुआत की है।

दुनिया के जाने-माने इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और एपेक्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉक्टर तेजस पटेल ने हॉस्पिटल में इस रोबोटिक मशीन के जरिए पचास से ज्यादा एंजियोप्लास्टी कर दी है। अभी इस रोबोटिक मशीन को इस हॉस्पिटल में लगे महीने भर का ही वक्त हुआ है। ऐसे में पचास से ज्यादा मरीजों की एंजियोप्लास्टी करना एक बड़ी कामयाबी है।

दरअसल ये वैस्क्यूलर रोबोटिक सिस्टम को अमेरिका की एक कंपनी ने बनाया है और अमेरिका के बाद भारत ऐसा दूसरा देश है, जहां इसके जरिए सफल एंजियोप्लास्टी शुरू हुई है।

ऐसे में दिल की बीमारियों की रोबोटिक सर्जरी वाकई बड़ी बात है। पद्मश्री डॉक्टर तेजस पेटल का भी यही कहना है कि भारत में दूसरी बीमारियों की रोबोटिक सर्जरी तो पहले से हो रही है, मगर दिल से जुड़ी बीमारी के लिए पहले बार रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत हुई है।

ऐसे हुई दिल की पहली रोबोटिक सर्जरी-

पदमश्री डॉक्टर तेजस पटेल और उनके साथी डॉक्टर संजय शाह ने हॉस्पिटल में पहली रोबोटिक सर्जरी की और मरीज के दिल में स्टेंट लगाए गए। अब तक दोनों डॉक्टर्स ने इस मशीन के जरिए दिल की बीमारी से जुड़े मरीजों की जटिल सर्जरी को अंजाम दिया है।

फिलहाल मरीजों का इस तकनीक के जरिए फ्री में सर्जरी की जा रही है। हालांकि इस तकनीक के जरिए सर्जरी की कीमत सामान्य एंजियोप्लास्टी से 75 हजार से ज्यादा है। ऐसे में अस्पताल ज्यादा से ज्यादा मरीजों को इस तकनीक का फायदा पहुंचाना चाह रहा है, इसलिए जो मरीज इस सर्जरी में होने वाले खर्चे का बोझ नहीं उठा सकते, उन्हें छूट देने का फैसला किया गया है।

12 साल में तैयार हुआ रोबोटिक सिस्टम-

शरीर के बाकी अंगों की रोबोटिक सर्जरी करना दिल की अपेक्षा थोड़ा कम चुनौतीपूर्ण होता है। क्योंकि दिल हमेशा धड़कता रहता है। यही वजह रही कि अमेरिकन इंजीनियर्स और रिसर्चर्स को इस तकनीक को काम लायक बनाने में 12 साल से ज्यादा का वक्त लग गया। फिलहाल अमेरिका में अलग-अलग आठ सेंटर्स में दिल की बीमारियों की इस तकनीक के सहारे रोबोटिक सर्जरी की जा रही है। मगर अमेरिका से बाहर केवल अहमदाबाद ही ऐसी जगह है, जहां रोबोट की मदद से एंजियोप्लास्टी की जा रही है।

ऐसी है रोबोटिक टेक्नोलॉजी-

काफी जांचने और परखने के बाद अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अथॉरिटी यानी USFDA ने रोबोटिक टेक्नोलॉजी को एंजियोप्लास्टी और स्टेंट लगाने की मंजूरी दी। इस रोबोटिक सिस्टम के तीन हिस्से होते हैं। जिसमें एक कैथ लैब रोबोटिक आर्म, एक कॉकपिट- जहां से जॉय स्टिक की मदद से डॉक्टर रोबोट और उस कैसेट को नियंत्रित करते हैं, जिसमें हर मरीज के इलाज के हिसाब से जरूरी सामान रखा जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस इस मशीन की कीमत 1.5 मिलियन यूएस डॉलर है। जो डॉक्टर्स को सर्जरी के लिए जरुरत के मुताबिक फैसले लेने में मदद करता है।

मरीज रहेंगे सुरक्षित-

विशेषज्ञों की मानें तो रोबोटिक सर्जरी की मदद से न सिर्फ मरीज ज्यादा सुरक्षित रहेंगे, बल्कि सर्जरी के दौरान मरीजों के साथ ही डॉक्टर और कैथ लैब में काम कर रहे स्टाफ भी रेडिएशन के संपर्क में कम आएंगे।

डॉक्टर तेजस पटेल कलाई के पास मौजूद धमनियों के जरिए एंजियोप्लास्टी और स्टेंट लगाने में माहिर हैं। अब तक वो दुनिया भर के पांच हजार से ज्यादा कार्डियोलॉजिस्ट को इसकी बारीकियां सिखा चुके हैं।

भारत जैसे देश, जहां पांच करोड़ से ज्यादा लोग दिल की अलग-अलग बीमारियों से परेशान हैं और साल 2016 में केवल पांच लाख लोगों की ही एंजियोप्लास्टी हुई। ऐसे में ये रोबोटिक सर्जरी दिल के ऐसे मरीजों के लिए काफी कारगर होगी।


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