भारत आसियान के बीच रणनीति विश्वास सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया धनखड़ ने

asiakhabar.com | November 12, 2022 | 5:15 pm IST
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नामपेन्ह। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई
देशों के संघ (आसियान) के बीच रणनीतिक विश्वास तथा सहयोग को और गहरा तथा विस्तृत बनाने
पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में आसियान की केंद्रीय भूमिका को भारत
समर्थन देता है। श्री धनकड़ यहां भारत आसियान 19वीं शिखर बैठक संबोधित कर रहे थे। बैठक में
विदेश मंत्री एस जयशंकर भी उपस्थित थे। इस शिखर बैठक को भारत आसियान संबंध के 30 वर्ष
पूरे होने के उपलक्ष्य में स्मृति शिखर सम्मेलन के रूप में देखा जा रहा है। इसका आयोजन आसियान
की 40 और 41 में शिखर बैठक के साथ हो रहा है। इस बैठक में भाग लेने के लिए श्री धनखड़ के
नेतृत्व में भारत का प्रतिनिधिमंडल कल यहां पहुंचा। श्री धनखड़ ने कहा, “हम भविष्य की ओर देखते
हैं तो इस क्षेत्र का राजनीतिक परिदृश्य निश्चित दिखता है। हम इसके प्रति आंख बंद कर नहीं रह
सकते। इस स्थिति से निकलने के लिए भारत-आसियान सहयोग का विस्तार होना चाहिए, रणनीतिक
विश्वास और गहरा होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारत -आसियान सहयोग का विस्तार होना
चाहिए, रणनीतिक विश्वास और गहरा होना चाहिए। इस विषय में भारत आसियान के बीच की
रणनीतिक भागीदारी का भूमिका का महत्व और बढ़ गया है।” उन्होंने कहा कि भारत आसियान के
साथ अपने संबंधों को महत्व देता है। भारत आसियान को क्षेत्रीय, बहुपक्षीय और वैश्विक व्यवस्था के

एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देखता है। श्री धनखड़ ने कहा कि भारत एशिया- प्रशांत क्षेत्र में उभर
रही नई व्यवस्था और समीकरणों के बीच आसियान के केंद्रीय अस्थान का समर्थन करता है। इस
क्षेत्र में शांति स्थिरता और समृद्धि के संवर्धन के बारे में भारत और आसियान की सोच परस्पर
मिलती है। उन्होंने कहा कि आसियान देश भारत की एक्ट ईस्ट नीति में केंद्रीय स्तंभ हैं। सांस्कृतिक
आर्थिक और सभ्यता के क्षेत्र में आसियान देशों के साथ भारत के संबंध आदिकाल से चले आ रहे हैं।
इससे हमें आधुनिक युग में आसियान के साथ अपने संबंध विकसित करने का मजबूत आधार मिला
है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आसियान के साथ संबंधों की शुरुआत 1992 में कुछ क्षेत्रीय
विषयों पर भागीदार के रूप में हुई थी जिसने बढ़ते बढ़ते 2022 में विस्तृत रणनीतिक भागीदारी का
रूप ले लिया है। आज यह भागीदारी बहुआयामी और क्षेत्रीय हो गई है। इस भागीदारी में संपर्क
सुविधाओं के विस्तार से लेकर जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा से लेकर अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी,
प्रौद्योगिकी से लेकर व्यापार के क्षेत्र में सहयोग चल रहा है जो यह दिखाता है कि हम बेहतर और
उज्जवल भविष्य के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं।


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