कोटा। राजस्थान में कोटा जिले के सांगोद क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक
एवं पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने अवैध खनन की लगातार अनदेखी करने को लेकर राज्य सरकार
पर एक भ्रष्ट मंत्री को पूरा संरक्षण प्रदान करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री ने
धृतराष्ट्र की भूमिका निभा रखी है और कमाऊ पूत को बचाने का यह कदम घातक साबित होगा।
श्री सिंह ने बारां जिले के अंता क्षेत्र के खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल करने की
मांग के मसले को लेकर कोटा के प्रभारी एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा को
लिखे एक पत्र में आज यह बात कही। उन्होंने कहा कि वह लगातार हाडोती संभाग सहित राजस्थान
में अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के मसले को उठाते रहे है और कोटा-बारां जिलों
की सरहद पर स्थित खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग करते आ रहे
हैं, लेकिन इस मांग को लगातार अनदेखी की जा रही है।
उन्होंने पत्र में श्री मीणा से आग्रह किया कि उन्हें समय निकालकर मौके पर जाकर खुद खान की
झोपड़िया गांव का अवलोकन कर सच्चाई से मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा
कि खान की झोपड़ियों को कोटा जिले में मिलाया जाना चाहिए। उन्होंने पत्र में लिखा “आपकी
जानकारी में लाना चाहता हूं कि 23 जनवरी को बारां में इस मांग को लेकर मैं प्रदर्शन में भाग लेने
वाला हूं यह प्रदर्शन मुख्यंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के संकल्प के समर्थन में हैं।
प्रदर्शन बारां के भ्रष्ट मंत्री के विरोध में भी है। खान की झोपडियों गांव जो कोटा जिले की सीमा में
बारां जिले का गांव है उको कोटा जिले में मिलाने के लिए भी प्रदर्शन किया जा रहा है।”
उल्लेखनीय है कि पूर्व में श्री सिंह के आग्रह पर बारां जिले के प्रभारी मंत्री एवं सैनिक कल्याण मंत्री
राजेंद्र सिंह गुढ्ढा ने हाल में खान की झोपड़ी गांव का अवलोकन किया था और मौके पर वहां की
भौगोलिक स्थिति देखने के बाद यह कहा था कि बड़े आश्चर्य की बात है कि यह गांव बारां जिले में
क्यों हैं। इस मसले को बार-बार उठाए जाने के बाद बाद कोटा के एक के संभागीय आयुक्त ने भी
इस प्रकरण की जांच की थी और इसकी भौगोलिक स्थिति का सत्यापन किया था। श्री श्री सिंह का
कहना है कि इस प्रशासनिक रिपोर्ट के बावजूद खान की झोपड़िया गांव को बारां जिले का ही अभी
तक हिस्सा बने रहने दिया जा रहा है जबकि वह कोटा जिले में होना चाहिए।