-सिद्धार्थ शंकर-
बिहार की राजनीति के सियासी तारे एक बार फिर से नए समीकरण गढ़ रहे हैं। खबर है कि यहां बड़ा राजनीतिक
उलटफेर हो सकता है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के इस्तीफे के बाद से पार्टी भाजपा पर हमलावर
है। आने वाले दिनों में सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो भविष्य ही जानें, लेकिन राजनीति के गलियारों में
खबर है कि एक से दो दिन में जदयू, भाजपा के साथ गठबंधन तोडऩे का एलान कर सकती है। माना जा रहा है
कि 11 अगस्त तक बिहार में नई सरकार बनाने की हलचल है। सवाल यह है कि नीतीश भाजपा से क्यों नाराज
हैं? या फिर दोनों दल विवाद का निपटारा कर लेंगे। इसके साथ ही राजद और कांग्रेस के साथ कैसे समीकरण बन
रहे हैं, इस पर भी सभी की नजर है। फिलहाल अभी भाजपा और जदयू के बीच जो विवाद है, उसे देखते हैं। भाजपा
और जदयू के बीच दूरी बढऩे की शुरुआत कुछ महीने पहले हुई थी। जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर नीतीश
कुमार भाजपा से अलग-थलग नजर आए और उन्होंने विपक्षी दलों के साथ जाति आधारित जनगणना की मांग की।
सरकार चलाने में फ्री हैंड नहीं मिलने के अलावा नीतीश चिराग प्रकरण के बाद आरसीपी प्रकरण से भाजपा से खफा
हैं। बीते कुछ महीने में नीतीश ने कई अहम बैठकों से दूरी बनाई है। कुछ महीने पूर्व नीतीश पीएम की कोरोना पर
बुलाई गई बैठक से दूर रहे। हाल में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्मान में दिए गए भोज, राष्ट्रपति द्रौपदी
मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह से भी दूरी बनाई। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बुलाई गई
मुख्यमंत्रियों की बैठक से दूरी बनाने के बाद अब नीति आयोग की बैठक से भी दूर रहे। पिछले दिनों आरसीपी सिंह
प्रकरण ने भाजपा और जदयू के बीच दूरियां और बढ़ा दीं। दअरसल, भ्रष्टाचार के मामले में जदयू ने आरसीपी सिंह
को नोटिस भेजा था। इसके बाद उन्होंने जदयू से इस्तीफा दे दिया। पार्टी का आरोप है कि आरसीपी सिंह के बहाने
भाजपा जदयू में बगावत कराना चाहती थी। इससे दोनों पार्टी के बीच दूरी बढ़ती ही चली गई। बिहार विधानसभा में
सीटों की कुल संख्या 243 है। यहां बहुमत साबित करने के लिए किसी भी पार्टी को 122 सीटों की जरूरत है।
वर्तमान आंकड़ों को देखें तो बिहार में सबसे बड़ी पार्टी राजद है। उसके पास विधानसभा में 79 सदस्य हैं। वहीं,
भाजपा के पास 77, जदयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19, कम्यूनिस्ट पार्टी के पास 12, एआईएमआईएम के पास
एक, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के पास चार सदस्य हैं। इसके अलावा अन्य विधायक हैं।
वर्तमान में जदयू के पास 45 विधायक हैं। उसे सरकार बनाने के लिए 77 विधायकों की जरूरत है। पिछले दिनों
राजद और जदयू के बीच नजदीकी भी बढ़ी हैं। ऐसे में अगर दोनों साथ आते हैं तो राजद के 79 विधायक मिलाकर
इस गठबंधन के पास 124 सदस्य हो जाएंगे, जो बहुमत से ज्यादा हैं। इसके अलावा खबर है कि इस गठबंधन में
कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टी भी शामिल हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के 19 और कम्यूनिस्ट पार्टी
के 12 अन्य विधायकों को मिलाकर गठबंधन के पास बहुमत से कहीं ऊपर 155 विधायक होंगे। इसके अलावा
जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के चार अन्य विधायकों का भी उन्हें साथ मिल सकता है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार की पार्टी (जेडीयू) बीजेपी के साथ गठबंधन खत्म कर सकती है।
वैसे कई मौकों पर जेडीयू और बीजेपी के बीच तनातनी देख गई है। नीतीश कुमार भी कई मौकों पर बीजेपी का
नाम लिए बगैर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। राजद के कई नेताओं की ओर से तो यह भी बयान आ चुका है कि
नीतीश कुमार बीजेपी से नाता तोड़कर वापस आरजेडी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाएंगे। हालांकि नीतीश
कुमार ने इन बयानों को एक सिरे से खारिज कर दिया था।