न्यूमोनिया से बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है. नवजात शिशुओं से लेकर पांच साल तक के बच्चों
के लिए वैक्सीन उपलब्ध है. डॉक्टर्स 6 माह से बड़े बच्चों के लिए फ्लु शॉट्स की सिफारिश भी करते
हैं. बचपन से ही बच्चों को साफ-सफाई की आदत डालें. गंदगी के कारण श्वास मार्ग के संक्रमण की
आशंका बढ़ जी है, जो न्यूमोनिया का कारण बन सकती है.
बच्चे आसपास हों ते धूम्रपान न करें:
धूम्रपान के दौरान निकलने वाले धुएं से बच्चों के फेफड़ों की श्वसन तंत्र के संक्रमण के विरूद्ध,
प्रकृतिक सुरक्षा क्षमता क्षतिग्रस्त हो जाती है.
इम्यून तंत्र को दुरूस्त रखें
बच्चों का इम्यून तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता है, इम्न तंत्र को ठीक रखने के लिए बच्चों
के खाने-पीने और नींद का ध्यान रखें. अगर बच्चा छोटा है तो उसे स्तनपान जरूर कराएं.
डायग्नोसिस, एक्स-रे, ब्लड टेस्ट, स्पुटम टेस्ट, पल्स ऑक्सीमेट्री, सीटी स्कैन, ब्रोंकोस्कोपी
तो बढ़ जाता है खतरा
जिन बच्चों को हाल ही में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिन्हें बार-बार एंटी बायोटिक्स दिया जाता
है, अस्थमा है या कोई और गंभीर स्वास्थ्य समस्या है और जिन्हें खसरे, चेचक, इन्फ्लुएंजा के
संक्रमण का टीका नहीं लगाया गया है, उन्हें न्यूमोनिया होने का खतरा अधिक होता है. अगर
न्यूमोनिया के लक्षणों को गंभीरता से लिया जाए और तुरंत डॉक्टर को दिखाया जाए तो इसे गंभीर
होने से रोका जा सकता है. फिर भी बच्चों में न्यूमोनिया बहुत तेजी से विकसित होता है, विशेषरूप
से नवजात शिशुओं में और उन्हें जो पहले से ही बीमार हैं. न्यूमोनिया का उपचार इसपर निर्भर करता
है कि न्यूमोनिया किस प्रकार का है, कितना गंभीर है और बच्चे का सामान्य स्वास्थ्य कैसा है. एंटी
बायोटिक्स, एंटी बैक्रियल और एंटी फंगल ड्रग्स का इस्तेमाल न्यूमोनिया के उपचार के लिए दिया
जाता है. अधिकतर मामलों में बैक्टीरियल न्यूमोनिया का उपचार 2-3 दिन तक लगातार एंटी
बायोटिक्स लेने से हो जाता है. कफ को कम करने के लिए डॉक्टर कफ मेडिसीन भी दे सकता है,
ताकि बच्चा आराम से सो सके.