-सनत जैन-
पिछले एक दशक से धर्म के नाम पर पाखंड फैलाकर आम जनता को अफीम की तरह धर्म के नशे
का आदी बना दिया गया है। अफीम के नशे में जैसे कुछ देर के लिए नशेलची व्यक्ति अपनी सुध
बुध खो देता है। ठीक उसी तरह धर्म के नाम पर पाखंड का जो नशा पिछले वर्षों में पाखंडियों द्वारा
फैलाया जा रहा है, उस नशे से धुत होकर लोग अपनी सुध बुध खो बैठे हैं। राजनेताओं एवं प्रधिष्ठित
लोगों की शह पर इन दोनों बड़े-बड़े पाखंडी बाबा, बैरागी, कथावाचकों की बड़ी संख्या सामने आ रही
है। जो कथा के नाम पर, भूत प्रेत भगाने के नाम पर, तंत्र-मंत्र और यंत्र के जरिए लोगों की
समस्याओं का निराकरण मिनटों में करने के दावा करते हैं। हैरान परेशान जनता जब इन तथाकथित
बाबाओं का ऐश्वर्या देखती है। उनके पास बड़े-बड़े राजनेता अधिकारी पहुंच रहे होते हैं। बड़े-बड़े
सेलिब्रिटी उनके चरणों में बैठते हैं। मीडिया में उनका बड़ा-बड़ा प्रचार किया जाता है। हैरान और
परेशान आम जनता अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए इन पाखंडी बाबाओं के दरबार में
पहुंचने लगती है।
धर्म के नाम पर जो धंधे चल रहे हैं। अब वह मीडिया की कृपा से अपने चरम पर है। अंधश्रद्धा और
कथा के नाम पर भीड़ जुटाने के लिए राजनेताओं और बाबाओं द्वारा मुफ्त में भंडारा आयोजित किया
जाता है। जबरदस्त प्रचार प्रसार किया जाता है। लोगों को आयोजन और कथा स्थल तक पहुंचाने के
लिए परिवहन का साधन कराया जाता है। मीडिया धर्म के पाखंड और बाबाओं का टीवी और सोशल
मीडिया में महिमामंडन करता है। जिसको देखकर लोगों को विश्वास होने लगता है कि बाबाओं के
चमत्कार से उसकी सारी समस्याएं एक पल में दूर हो जायेंगी। उसके सारे बिगड़े हुए काम एक क्षण
में आम जनता धर्म के चमत्कार रुपी नशे की गिरफ्त में आकर ऐसे बाबाओं के चक्कर में आकर
अपना सब कुछ खो देता है। बाद में पछताने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है।
हाल ही में सीहोर जिले के कुबेरेश्वर धाम में पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा रुद्राक्ष वितरण का कार्यक्रम
चलाया जा रहा है। इसमें मध्य प्रदेश और आसपास के राज्यों के लाखों लोग पहुंच रहे हैं। रुद्राक्ष
महोत्सव की महिमा इस तरह लोगों के दिमाग में बैठाई गई कि लोग हजारों रुपए खर्च करके 2 से
4 रुपये की कीमत का रुद्राक्ष लेने के लिए बाबा के कार्यक्रम में पहुंच रहे हैं। 20-22 किलोमीटर तक
यहां जाम लग गया। इंदौर-भोपाल रोड बंद हो गया। भीड़ इतनी अधिक थी कि लोग एक दूसरे के
ऊपर चढ़ते हुए निकल गए। एक की मौत हो गई, 3 महिलाएं लापता हैं। श्रद्धालु और उनके साथ
आए परिवार जन पानी और खाने के लिए दर-दर भटकते रहे। बच्चे अपने मां-बाप से बिछड़ गए। 30
से 50 रुपये में पानी की बोतल बिक गई। नहाने और संडास जाने के लिए 50 से 100 रुपये प्रति
व्यक्ति वसूल किए गए। हजारों रुपए ठहरने के नाम पर लोगों से वसूल किए गए। फ्री का रुद्राक्ष
लोगों को हजारों रुपए में पड़ रहा है। लेकिन धर्म के नाम पर जो नशा फैलाया गया, वह अफीम से
भी ज्यादा घातक साबित हो रहा है। वस्तुस्थिति यह है कि यह बाबा जो रुद्राक्ष बांटकर लोगों की
सारी समस्याओं को दूर करने का दावा कर रहा है। उसकी खुद की बच्ची परीक्षा में फेल हो गई थी।
बाद में किसी तरह से जोड़-तोड़कर उसे पास कराया गया। यह अकेले कुबेरेश्वर धाम की स्थिति नहीं
है। बागेश्वर धाम भी इस समय बड़ी चर्चाओं में है। राष्ट्रीय मीडिया लगातार बागेश्वर धाम और बाबा
धीरेंद्र शास्त्री की चर्चाओं में घंटो-घंटो की डिबेट कर रहा है। बाबा हिन्दू राष्ट्र बनाने का दावा कर रहे
हैं। हनुमान जी के नाम पर जो अंधविश्वास फैलाया जा रहा है। उसके कारण बागेश्वर धाम में भी जो
अंध भक्त पहुंच रहे हैं। उनके हजारों रुपए खर्च हो रहे हैं। व्यवस्था देने के नाम पर बाबा से जुड़े हुए
लोग लाखों रुपए रोज की कमाई कर रहे हैं। बाबाओं के पाखंड को उनके भक्त इस तरह से फैलाते हैं,
कि जो श्रद्धालु वहां पर पहुंचता है। वह नशे की गिरफ्त में होकर कुछ सोचने की उसमें कोई सुध
बुध नहीं रहती है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है शासन-प्रशासन, राजनेता, बड़े-बड़े धर्मगुरु भारी
भीड़ को देखते हुए इस तरह के आयोजनों को महिमामंडित करने में लग जाते हैं। उसका राजनीतिक
एवं आर्थिक फायदा उठाने के लिए इस तरह के आयोजनों का प्रचार-प्रसार और पाखंड के विश्वास को
बढ़ाने में ऐसे बाबाओं का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग करते हैं। नेताओं की सभा में कोई लोग नहीं
पहुंचते हैं। नेताओं ने भी अब इस तरह के धर्म गुरुओं की आड़ लेकर हजारों लाखों लोगों की भीड़ पर
धार्मिक आस्था के नाम पर लोकप्रियता और जनाधार प्राप्त करने की कोशिश की जाती है। धर्म के
नाम पर पाखंड की अफीम का नशा लोगों को कराया जा रहा है। उसका क्या परिणाम होगा, यह तो
भविष्य ही बताएगा। पाखंड का नशा बहुत जल्दी उतर भी जाता है। पिछले वर्षों में बापू आसाराम,
राम रहीम और दर्जनों ऐसे पाखंडी साधु जो रातों-रात पाखंड के बल पर लाखों श्रद्धालुओं को
आकर्षित करने में सफल रहे। किंतु कुछ समय बाद ही उनकी काली करतूत और पाखंड जब सामने
आया, तो उनके चेहरे से नकाब भी उतर गया। वह जेल में हैं। जब शासन और प्रशासन और मीडिया
इस तरह के पाखंड और फर्जीवाड़े को प्रषय देता है, तो आम आदमी के पास केवल भाग्य और
भगवान का सहारा ही बचता है। लुटना उसकी नियति है, वही उसका भाग्य है। लुटा पिटा भक्त इन
बाबाओं को जब तक समझ पाता है, तब तक उसका सब कुछ लुट चुका होता है। यदि इन बाबाओं
के पास चमत्कार होता तो भारत की जो स्थिति है वह नहीं होती। आम जनता को इसे समझना
होगा।