-सनत कुमार जैन-
भारत सरकार ने दूरसंचार नियामक आयोग बना रखा है। इस नियामक आयोग की जिम्मेदारी है, कि
वह नियामक के रूप में टेलीकॉम कंपनियों और टेलीकॉम उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हुए
दोनों पक्षों की बात को सुनकर, नियम कानून लागू करवाएं। पिछले दो दशक से टेलीकॉम ऑपरेटर
आम उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी और लूट मचाए हुए हैं। इसके बाद भी नियामक आयोग
उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए कभी सामने नहीं आया। पिछले 20 वर्षों में कॉल ड्रॉप की
समस्या सर्वाधिक रही। इसके साथ ही इंटरनेट पर फिक्स चार्ज लेकर न्यूनतम बैंडविथ भी
उपभोक्ताओं को ना पहले मिली थी, और ना आज मिल रही है। टेलीकॉम कंपनियां बड़े-बड़े दावे
करती हैं। दावों के अनुसार दूरसंचार नियामक आयोग से सेवा की दरें तय करा लेती हैं।
आम उपभोक्ताओं से सेवाओं के नाम पर टेलीकाम कम्पनियां वसूली करती है। सर्विस देने के मामले
में जो वायदे उन्होंने अपनी स्कीम और योजनाओं में कर रखे होते हैं। वह उपभोक्ताओं को कभी नहीं
मिलते हैं। उसके बाद भी जजिया कर की तरह टेलीकॉम कंपनियां आम उपभोक्ताओं से हर माह
करोड़ों अरबों रुपए की राशि वसूल करती हैं। सेवा देने के मामले में उनके ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं
रहती हैं। नाहि उन्हें कभी दण्डित किया जाता है। भारत सरकार ने सभी जगह नियामक आयोग बना
रखे हैं, नियामक आयोग के बारे में यह कहा जाता है कि वह एक न्यायालयीन प्रक्रिया के तहत काम
करते हैं। उपभोक्ता बहुत कमजोर होता है। उपभोक्ता के हितों का संरक्षण नियामक आयोग और
सरकार को ही करना होता है। पिछले 20 वर्षों में जिस तरीके की लूट टेलीकॉम कंपनियों ने कर रखी
है। नियामक आयोग और सरकार की चुप्पी अब उपभोक्ताओं को भी अखरने लगी है।
5जी के नाम पर लूट
17 फरवरी को मोबाइल ऑपरेटरों के साथ दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने बैठक हुई है। जिसमें 5जी
की सेवाओं की गुणवत्ता कैसे सुधारी जाए। इस पर सारी टेलीकॉम कंपनियां अपना पक्ष रखा। ट्राई के
साथ अभी जो सर्वेक्षण हुआ है, उसमें 16 फ़ीसदी मोबाइल धारकों ने 5जी की सेवाएं ले ली हैं। वह
5जी सेवा का भुगतान कर रहे है। स्पीड 4जी की भी नहीं मिल रही है। 5जी के उपभोक्ता अभी से
कॉल कनेक्शन और ड्रॉप काल की समस्याओं से जूझ रहे हैं। 5जी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए
कंपनियों को अभी बहुत समय लगेगा। बड़े-बड़े महानगरों में कुछ स्थानों पर जरूर 5जी की सेवा
ट्रायल के रुप में शुरू हो गई है। लेकिन उसमें भी दावे के अनुसार सर्विस नहीं मिल पा रही हैं।
लेकिन टेलीकाम कम्पनियों ने वसूली, उपभोक्ताओं से 5जी के नाम पर शुरु कर दी है।
4जी और 5जी सेवाओं के लिए अभी जो सर्वेक्षण हुआ है। उसमें 69 फ़ीसदी उपभोक्ताओं ने कवरेज
नहीं मिलने, कॉल कनेक्शन ड्राप होने तथा इंटरनेट की गति जो दावा किया गया है। उसके मुकाबले
बहुत कम मिलने की शिकायतें की गई है। मात्र 5 परसेंट उपभोक्ताओं ने वॉइस कम्युनिकेशन मिलने
पर संतुष्टि जताई है। पिछले 20 सालों से टेलीकॉम कंपनियां उपभोक्ताओं को लूट रही हैं। किंतु
इसके बाद भी नियामक आयोग ने अपनी भूमिका में उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करने के
बजाय, टेलीकॉम कंपनियों का संरक्षण करने में लगे रहते हैं। आम उपभोक्ताओं को भी नियामक
आयोग की भूमिका समझा आने लगी है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जग भी टेलीकाम कम्पनियों
की सेवाओं और लूट से परेशान है। किन्तु न्यायालयों ने भी कभी संज्ञान लेकर टेलीकाम कम्पनियों
पर लगाम नहीं कसी है। जिससे अब आम लोगों का गुस्सा और मायुसी दिनों दिन बढ़ रही है।