हैदराबाद। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के चार विधायकों की कथित
तौर पर ‘खरीद-फरोख्त’ की कोशिश करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और
हैदराबाद की एक स्थानीय अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। ये गिरफ्तारियां
शनिवार रात को की गईं। इससे पहले, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के एक आदेश
को रद्द करते हुए मामले के आरोपियों को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
हैदराबाद की एक अदालत ने 27 अक्टूबर को तीनों आरोपियों को रिमांड पर भेजने का अनुरोध ठुकरा
दिया था। साइबराबाद पुलिस ने टीआरएस के चार विधायकों को दल बदलने के लिए कथित तौर पर
पैसों का लालच देने के आरोप में इन लोगों को गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने गिरफ्तारी से
पहले नोटिस जारी करने की प्रक्रिया का पालन न करने के आधार पर यह फैसला दिया था। सरकार
ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी।
टीआरएस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उसके कुछ विधायकों की खरीद-फरोख्त करने की
कोशिश का आरोप लगाया था। इसके बाद भाजपा ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने
की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी। भाजपा की याचिका पर उच्च
न्यायालय के एक अन्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के लिए चार नवंबर की तारीख तय की
और तब तक के लिए जांच स्थगित कर दी।
गौरतलब है कि टीआरएस विधायक रोहित रेड्डी की शिकायत पर 26 अक्टूबर की रात को रामचंद्र
भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंद कुमार और सिम्हायजी स्वामी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून-
1988 के प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए थे। प्राथमिकी के अनुसार, रोहित रेड्डी ने आरोप
लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी और इसके बदले में उन्हें
टीआरएस छोड़नी थी और अगला विधानसभा चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़ना था। इस
घटना के बाद भाजपा और टीआरएस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था।