नई दिल्ली। गुजरात चुनाव में एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाने के बाद देश के प्रधानमंत्री मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बुधवार को आमने-सामने आए। हालांकि इस बार दोनों के तेवर और लहजा बदले हुए थे। दोनों चेहरे पर मुस्कार लिए एक-दूसरे के सामने आए और गर्मजोशी से हाथ मिलाया। मौका था संसद पर हुए आतंकी हमले की 16वीं बरसी का।
इस मौके पर संसद में सभी बड़े नेता 13 दिसंबर 2001 को हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पहुंचे थे। इस दौरान राहुल गांधी भी भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिलते नजर आए। सभी ने आपस में खुशमिजाजी के साथ मुलाकात की।
हालांकि, खबर है कि पीएम मोदी की इस दौरान किसी से ज्यादा बातचीत नहीं हुई। कांग्रेस नेता पीएम मोदी से दूरी बनाए रहे लेकिन राजीव शुक्ला जरूर पीएम से बात करते दिखे। सोनिया गांधी और राहुल गांधी सुषमा स्वराज से बातचीत करते दिखे।
बता दें कि संसद पर हुए आतंकी हमले को 16 साल हो चुके हैं, लेकिन उसका जख्म आजतक देश भुला नहीं सका है। आतंकियों ने भारत के लोकतंत्र के मंदिर को चोट पहुंचाने की कोशिश की, हमारे वीर जवानों ने उनके नापाक इरादों को अपना जीवन कुर्बान करके ध्वस्त कर दिया। 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 जवान शहीद हुए थे। 16 साल पहले आज ही के दिन संसद पर आतंकी हमला हुआ था।
सेना की वर्दी पहनकर आए थे आतंकी
सफेद एंबेसडर कार में आए सभी पांच आतंकी सेना की वर्दी में संसद भवन में दाखिल हुए थे। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के इन आतंकियों ने संसद भवन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। शुुरुआत में तो समझना मुश्किल रहा कि क्या वाकई संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ है। इस हमले को नाकाम करने में सुरक्षाबलों, दिल्ली पुलिस और हमारे जवानों को 30-45 मिनट लगे। इन 30-45 मिनटों में जो निशानी संसद पर हुआ आतंकी हमला देश को दे गया, वो आज भी मौजूद है। जवानों ने अपनी जान पर खेलकर सभी पांचों आतंकियों को मार गिराया था।
हमले में शामिल चार आतंकी गिरफ्तार
संसद हमले में शामिल चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली की पोटा अदालत ने 16 दिसंबर, 2002 को चारों आतंकी मोहम्मद अफजल, शौकत हसैन, अफसान और सैयद रहमान गिलानी को दोषी करार दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सैयद अब्दुल रहमान गिलानी और नवजोत संधू को बरी कर दिया था, लेकिन मोहम्मद अफजल की मौत की सजा को बरकरार रखी था और शौकत हुसैन की मौत की सजा को घटाकर 10 साल कर दिया था। इसके बाद 9 फरवरी, 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फांसी पर लटका दिया गया था।