बीजिंग। चीन ने कहा कि उसने सात देशों के समूह (जी-7) द्वारा जारी बयान और यूरोपीय
संघ द्वारा ताइवान के आसपास उसके सैन्य अभ्यासों की आलोचना करने पर विरोध दर्ज कराने के लिए यूरोपीय
राजनयिकों को तलब किया है।
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उप-मंत्री देंग ली ने ‘‘चीन के आंतरिक मामलों में अवांछित हस्तक्षेप’’ को
लेकर ‘‘गंभीर विरोध-पत्र’’ दिया है।
चीन ने अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के विरोध में स्वशासी द्वीप
में नौसैन्य जहाज और युद्धक विमान भेजे हैं तथा वहां मिसाइलें दागी हैं।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि शुक्रवार सुबह चीन ने ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य जहाज और युद्धक
विमान भेजे। यह दशकों से चीन और ताइवान के बीच अनधिकृत ‘बफर जोन’ रहा है।
देंग ने कहा कि चीन ‘‘हर तरह से और किसी भी कीमत पर देश को विभाजित होने से रोकेगा।’’ उन्होंने कहा,
‘‘पेलोसी की ताइवान यात्रा घोर राजनीतिक जोड़तोड़ और चीन की संप्रभुत्ता तथा क्षेत्रीय अखंडता का गंभीर उल्लंघन
है। अमेरिका-ताइवान की मिलीभगत और उकसावे के जवाब में चीन की प्रतिक्रिया स्वाभाविक है।’’
चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि बृहस्पतिवार रात को बैठक हुई लेकिन उसने यह नहीं बताया कि इसमें किन
देशों ने भाग लिया।
इससे पहले चीन ने बृहस्पतिवार को जी-7 देशों के बयान के विरोध में जापान के साथ विदेश मंत्रियों की एक बैठक
रद्द कर दी थी। जी-7 ने बयान में कहा था कि चीन के सैन्य अभ्यासों का कोई औचित्य नहीं है।
चीन ने इससे पहले पेलोसी की यात्रा पर विरोध दर्ज कराने के लिए अमेरिका के राजदूत निकोलस बर्न्स को सम्मन
भेजा था।