खाद्य सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय संबंधों का प्रारंभिक बिन्दु, भरोसेमंद एवं टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला पर ध्यान
देना जरूरी : जयशंकर

asiakhabar.com | November 24, 2022 | 5:34 pm IST
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नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘खाद्य सुरक्षा’ को अंतरराष्ट्रीय
संबंधों एवं कूटनीति का प्रारंभिक बिन्दु करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि देशों को खाद्यान्न के
अधिक विविधतापूर्ण स्रोत तलाशने, अधिक उत्पादन करने तथा भरोसेमंद एवं टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला
तैयार करने पर ध्यान देने की जरूरत है।
अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 के दौरान भारत में वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों के अग्रिम
उद्घाटन के अवसर पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं कूटनीति का
महत्वपूर्ण आयाम एवं प्रारंभिक बिन्दु ‘खाद्य सुरक्षा’ का विषय है।
उन्होंने कहा कि जब क्षेत्रीय स्तर पर एक दूसरे देशों के बीच संबंध की बात आती है तब भी हम यह
देखते हैं कि एक दूसरे के साथ कैसे इसका (खाद्यान्न) आदान प्रदान कर सकते हैं। ऐसे में खाद्य
सुरक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘अगर हम आज की दुनिया पर विचार करें तब तीन बड़ी चुनौतियां ‘‘3सी’’ ही
सामने आती हैं। यह कोविड, कंफ्लिक्ट (संघर्ष) और क्लाइमेट (जलवायु) हैं। इन तीनों का ही खाद्य
सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है।’’ उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान भी खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव
पड़ा और इसके कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को खतरे की स्थिति का
सामना करना पड़ा।
जयशंकर ने बताया कि भारत में भी कोविड के कारण लॉकडाउन लगा तो पड़ोसी देशों सहित कुछ
खाड़ी के देश चिंतित हुए क्योंकि वे हमसे खाद्य पदार्थो का नियमित आयात करते थे। उन्होंने कहा
कि हमने उन देशों को आश्वस्त किया कि हम खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को बनाये रखेंगे।
यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह संघर्ष इस बात का उदाहरण है कि
किसी संघर्ष का खाद्य सुरक्षा पर किस प्रकार प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन गेहूं का
प्रमुख निर्यातक देश रहा है, ऐसे में इस क्षेत्र में संघर्ष का प्रभाव देखा गया। उन्होंने कहा कि इसीलिए
जब संघर्ष होगा तब खाद्यान्न की कीमतें बढ़ेंगी, आपूर्ति प्रभावित होगी।

विदेश मंत्री ने जलवायु प्रभावों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सभी इस बात से सहमत होंगे कि
आज कठिन जलवायु स्थितियां हैं जिसका प्रभाव उत्पादन में कमी और कारोबार में बाधा के रूप में
सामने आ सकता है। उन्होंने कहा कि कोविड, संघर्ष और जलवायु महत्वपूर्ण चुनौती है और हमें
खाद्य सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमें खाद्यान्न के अधिक विविधतापूर्ण स्रोत तलाशने, अधिक उत्पादन करने तथा
भरोसेमंद एवं टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने पर ध्यान देने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया के 130 देश किसी न किसी रूप में मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं, ऐसे
में इस विषय पर ध्यान देने से खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता आएगी, खाद्य आपूर्ति भी बेहतर होगी
तथा किसानों की आय भी बढ़ेगी।
जयशंकर ने कहा कि यह वर्ष अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है जिसका
प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में भारत ने किया था और 72 देशों ने इसका समर्थन किया था।
उन्होंने कहा कि भारत मोटा अनाज का इतिहास काफी पुराना है और सिंधु घाटी सभ्याता में भी
इसका उल्लेख मिलता है। भारत मोटे अनाज का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला देश है और कुल
वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत हमारे यहां होता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में नौ प्रकार के मोटे अनाजों का उत्पादन किया जाता है और दुनिया
के 130 देश मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं।


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