सुदूर क्षेत्र में स्थित एक जंगल में एक पेड़ पर एक कौआ रहता था। उसे ऐसा दुख था जिससे वह
छुटकारानहीं पा रहा था। कौए के घोसले के निकट एक बड़ा सा सांप भी रहता था। कौआ जब भी
अंडा देता और उससे बच्चा निकलता, दुष्ट सांप इस अवसर की ताक में रहता कि कौआ दाना चुगने
के लिए घोसले से जाए। जैसे ही कौआ घोंसले से बाहर निकलता सांप पेड़ पर चढ़ता और बच्चे को
खा जाता। इस दुख से कौआ धीरे-धीरे घुलता जा रहा था।
एक दिन कौआ बहुत दुखी था। उसने ताज़ा दुनिया में आए अपने बच्चे को चोंच में पकड़ा और
निकट में रह रहे अपने एक पुराने मित्र सियार के पास ले गया।
सियार कौए की हालत देख कर बहुत दुखी हुआ और उससे पूछाः क्या हुआ क्यों इतने दुखी हो कौए
ने कांव कांव करते हुए कहाः कुछ समय से दुष्ट सांप मेरा पड़ोसी है। जबसे उसे पता चला है कि
मेरा घोसला पेड़ पर है, मुझे परेशान करता है और अब तक मेरे कई कच्चे खा चुका है।
सियार ने कहाः यह कौन सी मुश्किल बात है। अपना घोंसला बदल दो। कौए ने कहाः ठीक कह रहे
हो। इसके सिवा कोई हल नहीं है किन्तु मैं जाने से पहले दुष्ट सांप से अपने बच्चों का बदला लेना
चाहता हूं। उससे लड़ुंगा या उसे मार डालुंगा या मर जाउंगा।
सियार ने कहाः इसमें बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि तुमने क्रोध में यह निर्णय किया और इसका अंजाम
पराजय के सिवा कुछ और नहीं निकलेगा। सोचो! तुम्में सांप जितनी शक्ति नहीं है। वह बड़ी आसानी
से तुम्हें मार देगा। उस वक़्त तुम मर जाओगे और अपने बच्चों का बदला भी नहीं ले पाओगे।
कौए ने कहाः ठीक कह रहे हो! मैं और क्या कर सकता हूं
सियार सोचने लगा और उसके मन में एक विचार आया। उसने अपना विचार कौए को बताया। कौआ
सियार की ओर से पेश किए गए हल से बहुत प्रसन्न हुआ। अपने बच्चे को कौए के पास रखा और
उससे विदा लेकर चल पड़ा।
कौआ उड़ते हुए निकट के एक गांव पहुंचा। उसे एक घर के आंगन में एक महिला हौज़ के किनारे
कपड़ा धोती हुयी दिखाई दी जिसने अपने सोने की अंगूठी हौज़ के किनारे रख दी थी। घर की छत
पर बैठ कर कौआ ऐसे अवसर की प्रतीक्षा करने लगा कि अंगूठी को ले उड़े।
महिला जब कपड़े धुल चुकी और किसी दूसरे काम में व्यस्त हो गयी तो कौए ने तुरंत अंगूठी चोंच
में पकड़ी और धीरे-धीरे उड़ने लगा। महिला के चिल्लाने से लोग इकट्ठा हो गए और वे समझ गए
कि कौआ अंगूठी ले गया है। पुरुष हाथ में लाठी लेकर कौए के पीछे दौड़े। कौआ इस प्रकार उड़ रहा
था कि लोग सांप के बिल की ओर बढ़ें। कौआ सियार के सुझाव के अनुसार जब सांप की बिल के
निकट पहुंचा तो उसने अंगूठी ठीक उसकी बिल के पास गिरा दी। बिल में बैठे सांप ने जब अंगूठी
देखी तो बाहर निकला और अंगूठी की ओर बढ़ा। ठीक उसी समय लोग पहुंच गए और उन्होंने सांप
के पास अंगूठी देखते ही उसे लाठियों से पीटना शुरु कर दिया। एक व्यक्ति ने बड़े पत्थर से दुष्ट
सांप को मार कर अंगूठी उठा ली। पेड़ पर बैठे कौए को जब सांप के मरने का विश्वास हो गया तो
उड़ा और सियार के पास पहुंचा ताकि उसका आभार व्यक्त करे और अपना बच्चा वापस ले आए।