नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ की 114वीं कड़ी के संबोधन में लोगों से पर्यावरण की रक्षा का संकल्प के साथ ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से जुड़ने का आह्वान किया।
श्री मोदी ने कहा कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ अद्भुत अभियान रहा। जन-भागीदारी का ऐसा उदाहरण वाकई बहुत प्रेरित करने वाला है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर शुरू किये गए इस अभियान में देश के कोने-कोने में लोगों ने कमाल करके दिखाया है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना ने लक्ष्य से अधिक संख्या में पौधारोपण करके नया रिकाॅर्ड बनाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “इस अभियान के तहत उत्तर प्रदेश में 26 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए। गुजरात के लोगों ने 15 करोड़ से ज़्यादा पौधे रोपे। राजस्थान में केवल अगस्त में ही छह करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं। देश के हजारों स्कूल भी इस अभियान में जोर-शोर से हिस्सा ले रहें हैं।”
उन्होंने कहा, “हमारे देश में पेड़ लगाने के अभियान से जुड़े कितने ही उदाहरण सामने आते रहते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है तेलंगाना के के एन राजशेखर जी का। पेड़ लगाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता हम सब को हैरान कर देती है। करीब चार साल पहले उन्होंने पेड़ लगाने की मुहिम शुरू की। उन्होंने तय किया कि हर रोज एक पेड़ जरूर लगाएगें। उन्होंने इस मुहिम का कठोर व्रत की तरह पालन किया। वह 1500 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस साल एक हादसे का शिकार होने के बाद भी वह अपने संकल्प से डिगे नहीं। मैं ऐसे सभी प्रयासों की हृदय से सराहना करता हूँ। मेरा आपसे भी आग्रह है कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ इस पवित्र अभियान से आप जरूर जुड़िए।”
उन्होंने कहा कि ऐसी ही एक महिला है सुबाश्री, जिन्होंने अपने प्रयास से दुर्लभ और बहुत उपयोगी जड़ी-बूटियों का एक अद्भुत बगीचा तैयार किया है। वह तमिलनाडु के मदुरई की रहने वाली हैं। वैसे तो पेशे से वो एक टीचर हैं, लेकिन औषधीय वनस्पतियों, औषधीय पौधों के प्रति इन्हें गहरा लगाव है। उनका ये लगाव 80 के दशक में तब शुरू हुआ, जब एक बार उनके पिता को जहरीले सांप ने काट लिया। तब पारंपरिक जड़ी-बूटियों ने उनके पिता की सेहत सुधारने में काफी मदद की थी। इस घटना के बाद उन्होंने पारंपरिक औषधियों और जड़ी-बूटियों की खोज शुरू की। आज मदुरई के वेरिचियुर गाँव में उनका अनोखा औषधीय पौधों का बगीचा है, जिसमें 500 से ज्यादा दुर्लभ औषधीय पौधे हैं। अपने इस बगीचे को तैयार करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। एक-एक पौधे को खोजने के लिए उन्होंने दूर-दूर तक यात्राएं कीं। जानकारियाँ जुटाईं और कई बार दूसरे लोगों से मदद भी मांगी।
श्री मोदी ने कहा कि कोविड के समय उन्होंने रोगप्रतिरोधक्षमता बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियाँ लोगों तक पहुँचाई। आज उनके औषधीय पौधों के बगीचे को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। वह सभी को औषधीय पौधों की जानकारी और उनके उपयोग के बारे में बताती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “सुबाश्री हमारी उस पारंपरिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं, जो सैकड़ों वर्षों से हमारी संस्कृति का हिस्सा है। उनके औषधीय पौधों का बगीचा हमारे अतीत को भविष्य से जोड़ता है। उन्हें हमारी ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।”