कोलंबो। आर्थिक संकट से निपटने के लिये सर्वदलीय सरकार के गठन की संभावना
तलाशने के लिये शुक्रवार की शाम को यहां एक अहम बैठक होगी। अधिकारियों व राजनेताओं ने यह जानकारी दी।
सात दिनों तक स्थगित रहने के बाद बुधवार को फिर शुरू हुई संसद की कार्यवाही के दौरान श्रीलंका के
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने के लिये राजनीतिक दलों को सर्वदलीय
सरकार बनाने के वास्ते आमंत्रित किया।
अधिकारियों और राजनेताओं ने कहा कि बातचीत शुक्रवार की शाम को होगी।
पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि राष्ट्रपति नया दृष्टिकोण
अपनाएंगे, सामूहिक कार्रवाई नहीं हुई तो देश तबाह हो जाएगा।”
सत्तारूढ़ गठबंधन के 10 दलों के अलग समूह के नेता वासुदेव नानायकारा ने कहा कि वे विक्रमसिंघे के दृष्टिकोण
पर करीबी नजर रखेंगे।
नानायकारा ने कहा, “विक्रमसिंघे ने कहा कि वह आर्थिक व राजनीतिक गतिरोध का समाधान तलाशने के लिये एक
योजना बना रहे हैं। वह हमारी राय जानने वाले हैं, उम्मीद करते हैं कि बातचीत सफल होगी।”
हालांकि मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने कहा कि उनका नजरिया एक सर्वदलीय सरकार
बनाने के बजाय साझा सर्वदलीय कार्यक्रम बनाने का है।
एसजेबी नेता टिस्सा अट्टनायके ने कहा, “हम पर्यवेक्षण निगरानी समिति प्रणाली को मजबूत करने और अपना
योगदान देने के इच्छुक हैं।”
यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे को सांसदों ने 20 जुलाई को राष्ट्रपति निर्वाचित किया था।
आर्थिक संकट से जूझ रहे द्वीपीय राष्ट्र में लोगों के विरोध प्रदर्शनों के बीच पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश
छोड़कर चले गए थे और 13 जुलाई को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। विक्रमसिंघे (73) अब राजपक्षे के
कार्यकाल की शेष अवधि के लिए राष्ट्रपति रहेंगे।