-शहनाज़ हुसैन-
पांव शरीर का आधार माने जाते हैं। पांव पर ही पूरे शरीर का भार होता है तथा पांव ही हमारे शरीर
को गतिशील करते हैं। इसीलिए पांव का ख्याल अत्यंत महतवपूर्ण माना जाता है। सर्दियों में फटी
एड़ियों की समस्या आम होती है तथा महिलाएं सबसे ज्यादा पीड़ित रहती हैं। मौसम में बदलाव के
दौरान भीषण ठण्डी/गर्मी में शरीर में नमी की कमी, विटामिन की कमी, डायबटीज़, थायराईड, शरीर
में मोटापे तथा 60 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों को फटी एड़ियों की समस्या का सामना करना
पड़ता है। इसलिए यदि आपको फटी एड़ियों की समस्या से लगातार जूझना पड़ रहा है तो यह
अनुवांशिक या स्वास्थय कारणों से भी हो सकता है फटी एड़ियों की समस्या सामान्यतः पाँव के प्रति
लापरवाही से बढ़ जाती है। हवाई चप्पल या खुले जूतों का प्रयोग करने से भी फटी एड़ियां उभर आती
हैं। पाँव की एड़ियों में गहरी दरार पड़ जाने से कई बार असहनीय पीड़ा का सामना भी करना पड़
सकता है। आपके पाँव की त्वचा में अक्सर रूखापन आ जाता है तथा जब रूखापन बढ़ जाता है तो
फटी एड़ियों का स्वरूप ले लेता है।
सर्दियों में ठण्डे बर्फीले मौसम की वजह से शरीर में नमी की कमी आ जाती है जिससे पाँव में खून
का बहाव प्रभावित होता है । एड़ियों की त्वचा बाकी भागों की बजाय ज्यादा सख्त होती है तथा
सर्दियों में नमी की वजह से इसका लचीलाप कम हो जाता है जिससे फटी एड़ियों का स्वरूप बन
जाता है। शरीर में नमी की कमी के कारण जीवित कोशिकाएं कठोर हो जाती हैं तथा उसमें एड़ियों के
भाग पर मृत कोशिकाएं बढ़ जाती हैं जोकि बाद में फटी एड़ियों का स्वरूप ले लेती हैं। लेकिन आप
कुछ प्रकृतिक उपायों से इन फटी एड़ियों से छुटकारा पा सकती हैं। –
अपनी त्वचा में यौवनता तथा ताजगी लाने के लिए अपने पाँव को सप्ताह में एक बार घर में ‘‘फुट
ट्रीटमैंट‘‘ जरूर दें। पाँव को गर्म पानी में डुबोने से एड़ियों की त्वचा मुलायम होती है जिससे मृत्क
कोशिकाओं को हटाने में मदद मिलती है। प्रतिदिन पाँव तथा एड़ियों की उचित देखभाल सुनिश्चित
करने के लिए नहाने से पहले अपने पाँव में शुद्ध बादाम तेल की रोजाना मालिश कीजिए! नहाने के
बाद जब पाँव गीले हों तो पाँव पर क्रीम का इस्तेमाल कीजिए जिससे पाँव पर नमी बरकरार रखने में
मदद मिलेगी। फुट क्रीम से पाँव की सर्कुलर मोशन में हल्के-हल्के मालिश कीजिए तथा इससे आपके
पाँव मुलायम बने रहेंगे जिससे फटी एड़ियों की समस्या नहीं आएगी।
पाँव की समस्याओं के लिए शहद प्रकृतिक उपचार उपचार माना जाता है। शहद में एंटी बैकटीरियल
तथा एंटी माइक्रोबियल गुण विद्यमान होते हैं जो कि फटी एड़ियों को साफ करके इनका प्रकृतिक
उपचार कर सकते हैं । पांच लीटर गुनमुने पानी में एक कप शहद मिलाकर इसमें 20 मिनट तक
पाँव सोख कर रखने से पाँव में कोमलता आती है। आप शहद को ‘‘फुट सक्रब‘‘ या फुट मास्क के
तौर पर भी प्रयोग कर सकते हैं।
आपकी रसोई में भी फटी एड़ियों का प्रकृतिक ईलाज उपलब्ध है। नींबू को काटकर इसका आधा भाग
लेकर इसे चीनी में मिलाएं तथा इसे अपने एड़ियों पर आहिस्ता-आहिस्ता रगड़ें और बाद में एड़ियों को
साफ ताजे पानी से धो लीजिए। इस प्रक्रिया को हफ्ते मे दो बार अपनाने से बेहतर सकारात्मक
परिणाम मिलेंगे।
रात को साने से पहले गर्म पानी में नमक डालकर अपने पैरों को आधा घण्टा तक भीगो कर रखें
जिससे आपकी एड़ियों की त्वचा मुलायम हो जाएगी तथा इसके बाद बाथिंग स्पंज से रगड़कर एड़ियों
से मृत कोशिकाओं को आहिस्ता-आहिस्ता हटा दीजिए। कभी भी धातू के स्पंज का इस्तेमाल मत
कीजिए क्योंकि इससे एड़ियों के घाव गहरे हो सकते हैं। पाँव को धोने के बाद त्वचा पर क्रीम की
मालिश कीजिए तांकि त्वचा क्रीम को पूरी तरह सोख ले। नींबू तथा हल्दी के गुणों वाली क्रीम सबसे
बेहतर होगी। रात को सोने से पहले फटी एड़ियों को साॅफ्ट काॅटन के कपड़े की पट्टी बांधकर सोने से
फट एड़ियों के घाव भरने में मदद मिलेगी। रात में सोने से पहले पाँव पर ‘‘फुटक्रीम‘‘ लगाकर पाँव
को काॅटन के कपड़े की पट्टी बांधकर सोने से घाव को प्रकृतिक तरीके से ठीक होने में मदद मिलती
है तथा बिस्तर भी खराब नहीं होता।
फटी एड़ियों के लिए नारियल तेल रामबाण की तरह काम करता है। नारियल तेल में विद्यमान एंटी
इन्फलेमेटरी तथा एंटी माईक्रोबाईल गुण विद्यमान होते हैं। जिससे त्वचा की नमी बरकरार रखने में
मदद मिलती है तथा नारियल तेल को सूखी त्वचा के उपचार के लिए सबसे बेहतर माना जाता है।
नारियल तेल त्वचा में नमी बरकरार रखने के इलावा त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने में भी
मददगार साबित होता है। नारियल तेल को प्रतिदिन उपयोग में लाने से फटी एड़ियों की समस्या से
बचा जा सकता है तथा यह पाँव की बाहरी त्वचा के टिशू को मजबूत करता है, रात को सोने से
पहले नारियल तेल से त्वचा की मालिश करने से सुबह आपके पाँव कोमल तथा मुलायम बनकर
उभरेंगे। यदि आप फटी एड़ियों की समस्या से जूझ रहे हैं तो दिन में दो बार नारियल तेल से अपने
पाँव की मालिश कीजिए।
फटी एड़ियों के उपार में जैतून का तेल काफी प्रभावी माना जाता है। हफ्ते में दो बार जैतून के तेल
की ट्रीटमैंट, फटी एड़ियों की समस्या का प्रभावी निदान प्रदान करती है। जैतून के गर्म तेल को काॅटन
बाॅल से आहिस्ता-आहिस्ता पाँव में गोलाकार तरीके से लगाने से त्वचा तेल को सोख लेगी। उसके
बाद पाँव को काॅटन के कपड़े से बांध लीजिए तथा थोड़ी देर बाद गुनगुने पानी से धो डालिए। रात को
सोने से पहले प्रतिदिन जैतून के तेल से पाँव की मालिश करने से आपको बेहतरीन परिणाम मिल
सकते हैं।
तिल का तेल फटी एड़ियों के पोषण तथा नमी प्रदान करने में प्रभावी माना जाता है। तिल के तेल में
एंटी फंगल गुण होने के अलावा विटामिन, मिनरल तथा न्यूटरीऐंटस विद्यमान होते हैं। अपने पाँव में
आहिस्ता-आहिस्ता तिल के तेल की मालिश कीजिए तथा तेल को आहिस्ता-आहिस्ता प्रकृतिक तौर पर
पाँव को सोख लेने दीजिए तथा बाद में आप पाँव को सामान्य पानी में धो सकते हैं। तिल का तेल
पाँव की त्वचा में कोमलता तथा नमी बरकरार रखता है तथा फटी एड़ियों का प्रकृतिक उपचार माना
जाता है।
मौसम के हिसाब से पाँव में जूतों का चयन कीजिए। सर्दियों में हवाई चप्पल, सैंडल आदि के उपयोग
से परहेज कीजिए तथा बंद जूतों को प्रयोग में लायें। सर्दियों में काॅटन के मौज़े को प्राथमिकता दें
क्योंकि ऊनी या सिंथेटिक्स के मौज़े से पाँव की त्वचा रूखी हो सकती है। सर्दियों में साबून, शैम्पू के
प्रयोग को जरूरत से ज्यादा उपयोग में ना लायें तथा विटामिन ई, कैल्शियम, जिंक, ओमेगा-3 आदि
से भरपूर डाईट लें।