आईएफएफआई में फिल्म ‘कटी पतंग’ को दर्शकों ने खूब सराहा

asiakhabar.com | November 29, 2022 | 4:18 pm IST
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पणजी। किशोर कुमार की दिव्य आवाज और राजेश खन्ना का दमदार चरित्र
एक बार फिर गाना ‘प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है, हर खुशी से हर ग़म से, बेगाना होता है’
सदाबहार गीत के साथ गोवा के पणजी के मैकिनेज पैलेस ऑडिटोरियम के पर्दे पर जीवंत हो उठा
और ये दर्शकों के लिए एक सुनहरा क्षण था। गुजरे जमाने की अभिनेत्री और दर्शकों के दिल की
धड़कन आशा पारेख ने इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाया है।
आशा पारेख के लिए फिल्म ‘कटी पतंग’ की स्क्रीनिंग में उपस्थित होना दिल को छू लेने वाले पलों
से भरे अतीत की स्मृतियों की लौट आने जैसा था। 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव
(आईएफएफआई) के दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड रेट्रो सेक्शन में कटी पतंग को प्रदर्शित किया गया।
आईएफएफआई का ये खंड इस वर्ष आशा पारेख को समर्पित है जो साल 2020 के दादा साहेब
फाल्के पुरस्कार की विजेता हैं।
इस अवसर पर अभिनेत्री आशा पारेख ने कहा कि बीते वर्षों में आईएफएफआई निर्माताओं को अपनी
फिल्मों को प्रदर्शित करने और बेचने का अवसर देता है। उन्होंने कहा, “मुझे अपनी फिल्म इंडस्ट्री से

प्यार है। फिल्म प्रेमियों के लिए आईएफएफआई सबसे अच्छी जगह है, क्योंकि यहां देश भर के लोग
एक साथ आते हैं।” सुश्री पारेख ने सम्मानित किए जाने के लिए आईएफएफआई, एनएफडीसी और
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को धन्यवाद भी दिया।
आशा पारेख कई सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुकी हैं। उन्हें सभी लोग प्यार से 1960 और 70 के
दशक में हिंदी सिनेमा की ‘हिट गर्ल’ भी कहते हैं। एक बाल कलाकार के रूप में शुरुआत करने वाली
आशा पारेख की डेब्यू फिल्म दिल देके देखो (1959) थी, जो एक बड़ी हिट बन गई, जिसने उन्हें
स्टारडम की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया। उन्होंने 95 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया।
उन्होंने शक्ति सामंत, राज खोसला, नासिर हुसैन, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, शम्मी कपूर, मनोज कुमार,
देव आनंद और कई अन्य शीर्ष अभिनेताओं के साथ काम किया। उन्होंने कटी पतंग (1971) के लिए
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता और कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मानों के साथ
फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2002) भी पाया। आशा पारेख एक फिल्म निर्देशक,
निर्माता और कुशल भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना भी हैं। उन्हें वर्ष 1992 में पद्म सम्मानित किया जा
चुका है। वह 1998 से 2001 के दौरान केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की अध्यक्ष भी रही
थीं।
निर्माता शक्ति सामंत द्वारा निर्देशित फिल्म ‘कटी पतंग’, गुलशन नंदा के इसी शीर्षक वाले सबसे
अधिक बिकने वाले उपन्यास पर आधारित थी। इस फिल्म में केंद्रीय पात्र माधवी (आशा पारेख)
कमल (राजेश खन्ना) के साथ अपनी शादी के दिन घर से दूर पतंग की तरह कट कर उड़ जाती हैं,
लेकिन आगे उसे अपने एकतरफा ‘प्रेमी’ कैलाश (प्रेम चोपड़ा) के नापाक इरादे पता चलते हैं।
परिस्थितियां माधवी को मजबूर कर देती हैं और उसे एक घर में शरण लेनी पड़ती है और उस घर
की बहू होने का नाटक करना पड़ता है।
असली बहू पूनम (नाज़) की रेल दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, लेकिन मरने से पहले वो अपने बच्चे
को माधवी के हाथों सौंप जाती है। आगे फिल्म की कहानी माधवी की जिदंगी दिखाती है, कैसे वो
एक झूठी पहचान के साथ जीने लगती है। संगीतकार आरडी बर्मन और सुपरस्टार राजेश खन्ना को
एक साथ लाने के लिए भी इस फिल्म को सबसे ज्यादा याद किया जाता है। इस फिल्म में ‘ये शाम
मस्तानी’, ‘प्यार दीवाना होता है’ और ‘ये जो मोहब्बत है’ जैसे सदाबहार मधुर हिट गानों का संग्रह
सुनने को भी मिलता है।


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