लंदन। समय समय पर मेडिकल चेक-अप कराना कितना फायदेमंद हो सकता है, यह कोई सॉमरसेट की रहने वाली 22 वर्षीय कोनी रोवे से पूछे। उन्हें दाईं आंख से देखने पर कुछ परेशानी हो रही थी और बाईं तरफ के चेहरे में सुन्न अनुभव हो रहा था। बिना देर किए उन्होंने डॉक्टर से संपर्क किया कि कहीं उनकी आंख का नंबर तो नहीं बढ़ गया है। क्या उन्हें नए चश्मे की जरूरत होगी?
दरअसल, टीवी देखने के दौरान उन्हें परेशानी होने और सिरदर्द होने पर अक्टूबर 2015 में डॉक्टर से अप्वाइंमेंट लिया। उन्हें लग रहा था ज्यादा नंबर का चश्मा या लेंस लगाने को कहा जाएगा। मगर, जांच में पता चला कि उनकी आंखों की रोशनी कम नहीं हुई है, बल्कि दाईं आंख के ऊपर गोल्फ की गेंद के बराबर ब्रेन ट्यूमर हो गया है।
डॉक्टर ने बताया कि दाहिनी आंख के पीछे कुछ दबाव आ रहा है। उन्होंने कोनी को आगे की जांच और एमआरआई कराने की सलाह दी। सॉमरसेट के मुसग्राव पार्क अस्पताल में एमआरआई और ईईजी ब्रेन टेस्ट के बाद आई रिपोर्ट में पता चला कि मस्तिष्क में एक एक ट्यूमर था।
कोनी को बताया गया कि इसका ऑपरेशन करना होगा क्योंकि यह दिमाग में दबाव बना रहा है। ट्यूमर के बढ़ने की रफ्तार को रोकने के लिए उसे स्ट्रॉन्ग स्टेरॉयड दिए गए, जिससे उसका वजन करीब 20 किलो तक बढ़ गया। आखिरकार 19 फरवरी 2016 को कोनी का छह घंटे तक ऑपरेशन हुआ।
ट्यूमर एक फ्लूइड सैक के अंदर था। यानी यह दिमाग की किसी भी कोशिका से जुड़ नहीं पाया था, जिसकी वजह से इसे निकालना आसान था। कोनी को डॉक्टरों ने कहा कि पूरे ट्यूमर को निकाल दिया गया है और मुझे सर्जरी के बाद अब किसी उपचार की जरूरत नहीं होगी। उनसे कहा गया था कि पूरी तरह से स्वस्थ होने में उन्हें एक साल लगेंगे। मगर, कोनी छह महीने में ही जिंदगी की दौड़ में शामिल हो गई।
इलाज के बाद अच्छी रिकवरी करने के लिए उन्हें डिमेंशिया यूनिट में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया गया। वह कहती हैं कि मैं हमेशा से ही लोगों के लिए कुछ करना चाहती थी।