
वेटिकन सिटी। रोमन कैथोलिक चर्च के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू होने वाला है, क्योंकि पोप फ्रांसिस के निधन के बाद दुनिया भर की निगाहें वेटिकन पर टिकी हैं। सवाल यह है कि अगला पोप कौन होगा? क्या वह पहला अफ्रीकी या एशियाई पोप होगा, या चर्च यूरोप की ओर वापस लौटेगा? आइए, उन प्रमुख कार्डिनल्स पर नजर डालें, जो अगले सुप्रीम पॉन्टिफ बनने के दावेदार माने जा रहे हैं।
काला और सफेद धुंआ तय करता है आध्यात्मिक नेता
पोप का चुनाव एक प्राचीन और गोपनीय प्रक्रिया है, जो सिस्टिन चैपल में होती है। 80 वर्ष से कम उम्र के कार्डिनल्स, जिनकी संख्या वर्तमान में 138 है, इस कॉन्क्लेव में मतदान करते हैं। दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, और प्रत्येक मतदान के बाद मतपत्रों को जलाया जाता है। यदि कोई निर्णय नहीं होता, तो काला धुआं निकलता है, और जब नया पोप चुन लिया जाता है, तो सफेद धुआं संकेत देता है कि दुनिया को नया आध्यात्मिक नेता मिल गया है। पोप फ्रांसिस ने अपने 12 साल के कार्यकाल में 108 कार्डिनल्स को नियुक्त किया, जो मतदान में हिस्सा लेंगे। उनकी नियुक्तियों ने कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स को अधिक विविध बनाया, जिसमें यूरोप के बाहर के कार्डिनल्स की संख्या बढ़ी है। यह विविधता अगले पोप के चयन को और अधिक जटिल और अप्रत्याशित बना सकती है।
प्रमुख दावेदार कार्डिनल्स
कार्डिनल पीटर एरदो (हंगरी, उम्र 72),कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स (जर्मनी, उम्र 71),कार्डिनल मार्क, ओउलेट (कनाडा, उम्र 80), कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन (इटली, उम्र 70), कार्डिनल रॉबर्ट प्रेवोस्ट (अमेरिका, उम्र 69), कार्डिनल रॉबर्ट सारा (गिनी, उम्र 79),कार्डिनल क्रिस्टोफ शोनबोर्न (ऑस्ट्रिया, उम्र 80), कार्डिनल लुइस टैगले (फिलीपींस, उम्र 67), कार्डिनल मत्तेओ ज़ुप्पी (इटली, उम्र 69) को दावेदार माना जा रहा है।