
सोनभद्र, उत्तर प्रदेश। हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने वाली सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच’ संबद्ध ‘सोनभद्र मानव सेवा आश्रम ट्रस्ट’ के बैनर तले आठ मार्च अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर आयोजित वर्चुअल कवि सम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रांतों सहित अमेरिका और नेपाल से भी कवयित्रियों ने शिरकत कर महिलाओं के आत्म गौरव व नारी सशक्तिकरण के लिए कविताएं पढ़ीं। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ अध्यक्षता कर रहीं कच्छ गुजरात की पावन धरा से संस्था की राष्ट्रीय संरक्षिका व वरिष्ठ कवयित्री डॉ. संगीता पाल ने स्वयं अपनी सुरीली आवाज में भक्ति वंदना से कीं। उन्होंने ने अपने काव्य पाठ में ‘निज साहस से गढ़ रही, नारी नव प्रतिमान, करके दिखलाए वहीं, लेती है जो ठान…’ सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। इस पूरे कार्यक्रम का कुशल संचालन पाली राजस्थान से प्रोफेसर आशा पंकज मूंदड़ा ने किया।
कवि गोष्ठी के अगले क्रम में अमेरिका से सुप्रसिद्ध शायरा अचला एस गुलेरिया बेटियों के सम्मान में ‘बेटी ही स्त्री हो जाती, इसे पराया न समझें..‘ नेपाल से श्रृंगार की कवयित्री अमृता अग्रवाल ‘ऐ खुदा तू तो मेरे यार सा दिखता है ‘, फरीदाबाद दिल्ली से दीपा शर्मा ‘मेरा कहने को मेरे पास अपना कुछ भी नहीं, मैं तो वह नदी हूं, जो प्यास तो बुझाती हूं , पर प्यासी रह जाती हूं‘, डीडवाना, राजस्थान से कविता चौधरी ‘महान होती है औरत की शक्ति‘, रायपुर छत्तीसगढ़ से मीना भारद्वाज ‘*मैं जीना चाहती हूं मत बांधो मेरे पैरों में बेड़ियां ‘, ऋषिकेश उत्तराखंड से रश्मि पैन्यूली गिरिजा ‘कुछ शब्दों से,कुछ कपड़ों से, तुमने कितना जान लिया, कुछ आदत, कुछ सपनों से, मुझको अपना मान लिया’ हृदय स्पर्शी कविता सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया।सोनभद्र से हिंदी साहित्य के मूर्धन्य कवि कृष्ण कुमार साहनी ने ‘अबला, लाचार, विवश, खुद को मत कह नारी, अब दिखा पांचवां रूप वही प्रलयंकारी, तू दुर्गावती, चेनन्मा, तू लक्ष्मीबाई, जागो फिर से अद्भुत प्रचण्ड साहस लाई ‘, कार्यक्रम संचालिका आशा पंकज मूंदड़ा ने ‘यह दिल की धड़कनों का प्यार है नारी, हर बाजुओं की शक्ति का सार है नारी, स्वाभिमान की जलती मशाल है नारी, वक्त आने पर तोप और तलवार है नारी’, संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ ‘ मैं नारी हूँ एक नारी हूं, सभी को लगती प्यारी हूँ, मैं सभी से न्यारी हूँ, जगत की स्वयं आधारी हूँ‘ सुनाकर नारियों का गौरव बढ़ाया।
कार्यक्रम के आखिरी सोपान में सोनभद्र उत्तर प्रदेश से संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष श्याम बिहारी मधुर ने कवि गोष्ठी में शिरकत कर रहे सभी काव्य मनीषियों को बधाई देकर सभी का आभार जताया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि एक संस्कारवान और समृद्ध समाज के निर्माण में नारियों की भूमिका अहम है। अपने बच्चों को भारतीय नैतिकता और आपसी सौहार्द का पाठ जरूर पढ़ाएं। उन्होंने बेटियों के सम्मान में कहा कि ‘बेटी न होती अगर इस जहां में बेटे का अस्तित्व संभव न होता, मातृ वेदना क्या समझता जमाना, पितृ भावना का भी अनुभव न होता, हैं बेटा व बेटी बराबर जगत में अब भेद मत करना सुनो मेरे यारों, बेटी अगर यूं न घर को संवारती तो बेटे का भी राज वैभव न होता।‘ अंत में इस कवि गोष्ठी का समापन डॉ. संगीता पाल ने किया।