
दिल्ली: दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन (डीपीए) द्वारा शिकायतकर्ता अभिभावक महेश मिश्रा की मिली शिकायत पर कार्यवाही करते हुए दिल्ली शिक्षा मंत्री आशीष सूद व केंद्रीय बाल आयोग चेयरपर्सन सुश्री तृप्ति गुरहा को पत्र लिखकर, दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), द्वारका द्वारा नर्सरी और प्री-प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश के लिए अभिभावकों से कुल वार्षिक शुल्क का 60% अग्रिम में वसूलने की प्रथा पर गंभीर आपत्ति जताई है। यह प्रथा दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम (डीएसईएआर), 1973 के नियम 165 और 166 का उल्लंघन करती है।
शिकायतकर्ता अभिभावक महेश मिश्रा जो कि एक विख्यात समाजसेवी भी है ने बताया ” डीपीएस द्वारका, डीपीएस सोसाइटी द्वारा संचालित स्कूल है जो कि पिछले कई वर्षों से विभिन्न विवादित मुद्दों की वजह से अभिभावकों एवं मीडिया में चर्चा का विषय है जैसे मनमानी फीस वृद्धि, पी टी ए का मनमाने तरीके से गठन करना, मासूम बच्चों को एकांकी में बैठना, प्रशासन द्वारा अनुमोदित शुल्क देने के बावजूद मासूम बच्चों के नामों को पब्लिक डोमेन में डिस्प्ले करना, नाम काटना इत्यादि जिसकी शिकायत बहुत अभिभावकों द्वारा की जा रही है साथ ही नेशनल मीडिया में भी इसका उल्लेख समय समय पर होता रहा लेकिन न तो शासन न ही प्रशासन ने कोई करवाई की जिससे स्कूल के हौसले इतने बुलंद हो गए कि अब उसने संविधान से भी ऊपर अपने ही नियम कानून बना लिए जिसका ज्वलंत उदाहरण नर्सरी व प्री प्राइमरी में दाखिले के दौरान एकमुश्त फीस लेना साथ ही अवैधानिक वचनबद्धता लेना की अगर आपने स्कूल द्वारा निर्धारित नियमों का समय समय पर पालन नहीं किया तो आपके बच्चे का नाम भी काटा जा सकता है। इस सबको न मानने पर मेरे बच्चे का एडमिशन रोक दिया गया जिसकी मैने लिखित में सभी संबधित विभागों डी ओ ई, एन सी पी सी आर, सी बी एस ई एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से शिकायत की उसके बावजूद महीने बीत जाने के बावजूद आज तक कोई करवाई नहीं की गई है।
मुख्य बिंदु:
1. अत्यधिक अग्रिम शुल्क की मांग: डीपीएस द्वारका ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए कुल वार्षिक शुल्क ₹1,76,540 निर्धारित किया है, जिसमें से ₹1,05,000 (लगभग 60%) जनवरी 2025 में ही अग्रिम रूप से मांगा गया है। इसमें लगभग छह महीने की अग्रिम ट्यूशन फीस, वार्षिक एवं विकास शुल्क शामिल हैं।
2. न्यायालय के आदेश का उल्लंघन: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2013 में आदेश दिया था कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल मासिक ट्यूशन फीस और अंशदान से अधिक शुल्क अग्रिम में नहीं ले सकते हैं। डीपीएस द्वारका द्वारा की गई यह अग्रिम शुल्क वसूली इस आदेश का उल्लंघन है।
3. असंवैधानिक वचनबद्धता: स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को असंवैधानिक वचनबद्धता (undertaking) पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर रहा है, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
डीपीए की मांगें:
1. बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित करना: कानूनी शुल्क लेकर शिकायतकर्ता महेश मिश्रा के बच्चे का प्री-प्राइमरी में प्रवेश सुनिश्चित किया जाए, क्योंकि यहां बच्चे के अधिकारों का हनन हो रहा है।
2. डीएसईएआर के तहत कार्यवाही: बच्चों के अधिकारों के हनन और मानसिक प्रताड़ना के लिए डीपीएस द्वारका पर दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम (1973) की धारा 20 के तहत तुरंत कार्यवाही की जाए।
3. जेजे एक्ट के तहत कार्यवाही: स्कूल प्रबंधन और प्रधानाचार्य के विरुद्ध जेजे एक्ट की धारा 75 के तहत केस दर्ज कर कार्यवाही की जाए।
4. आरटीई एक्ट के तहत कार्यवाही: स्कूल द्वारा विभिन्न आदेशों का उल्लंघन और गैर कानूनी शुल्क की मांग के चलते बच्चों को प्रताड़ित किया जा रहा है, इसलिए आरटीई एक्ट के तहत कार्यवाही की जाए।
5. केवल कानूनी शुल्क वसूली: शिकायतकर्ता व अन्य अभिभावकों से केवल कानूनी शुल्क (एक महीने की फीस) के एवज में बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित किया जाए। जिन अभिभावकों से अत्यधिक शुल्क वसूली गई है, उनकी शुल्क वापसी सुनिश्चित की जाए।
6. वचनबद्धता रद्द करना: स्कूल द्वारा अभिभावकों से ली जा रही असंवैधानिक वचनबद्धता को तुरंत रद्द किया जाए।
डीपीए ने शिक्षा मंत्री, दिल्ली और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के चेयरपर्सन से अनुरोध किया है कि शिक्षा क्षेत्र में बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी करें और डीएसईएआर 1973 में वर्तमान स्थिति और भविष्य को ध्यान में रखते हुए आवश्यक संशोधन करें।