
नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) के बीच विभिन्न शैक्षणिक और शोध गतिविधियों को शुरू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन पर डीयू की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता और सी-डैक की ओर से सी-डैक नोएडा के कार्यकारी निदेशक विवेक खनेजा ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर डीयू की डीन एकेडमिक प्रो. के. रत्नाबली, डीन फैकल्टी ऑफ मैथमेटिकल साइंस प्रो. नीलिमा गुप्ता, कंप्यूटर साइंस विभाग से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ओम पाल के अलावा सी-डैक नोएडा के वैज्ञानिक सौरीश बेहरा और वैज्ञानिक अभिषेक तिवारी की मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
इस अवसर पर डीयू रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता ने बताया कि यह सहयोग डीयू और सीडैक को अनुसंधान गतिविधियों और शैक्षणिक कार्यक्रमों के वितरण में एक-दूसरे के प्रयासों का सहयोग करने में सक्षम करेगा। उन्होंने बताया कि इस एमओयू के तहत विभिन्न डोमेन के लिए अत्याधुनिक पुन: विन्यास योग्य एआई/एमएल मॉडल और हार्डवेयर अनुकूलित कार्यान्वयन के क्षेत्र में, क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में, क्रिप्टोग्राफी और पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी के क्षेत्र में, उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग के क्षेत्र में, स्मार्ट कार्ड प्रौद्योगिकियों और सुरक्षित कंप्यूटिंग के क्षेत्र में सामूहिक कार्य होगा। इसके साथ ही वैज्ञानिक और तकनीकी सूचना प्रवाह के लिए इंजीनियरों/संकाय का आदान-प्रदान, अनुमोदित दिशानिर्देशों के अनुसार डीयू में पीएचडी (अंशकालिक) प्रवेश के लिए योग्य कर्मचारी, सीडैक या डीयू में स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा पीएचडी छात्रों एवं पाठ्यक्रम कार्य/परियोजनाओं का संयुक्त पर्यवेक्षण किया जाएगा। इसके तहत संयुक्त रूप से सेमिनार, कार्यशाला, सम्मेलन और प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे कार्यक्रम आयोजित होंगे। उपलब्ध सुविधाओं और संसाधनों के अनुसार दोनों संस्थानों के छात्रों/इंजीनियरों/कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना एवं सीडैक केंद्रों पर डीयू के छात्रों की अकादमिक और प्रोजेक्ट इंटर्नशिप आदि इसके तहत संचालित होंगे।
इस साझेदारी के माध्यम से, दिल्ली विश्वविद्यालय और सी-डैक अभिनव परियोजनाओं पर सहयोग करेंगे, वित्त पोषण के लिए संयुक्त अनुसंधान प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे और सामाजिक लाभ के लिए प्रौद्योगिकियों और समाधानों को विकसित करने के लिए मिलकर काम करेंगे। उन्होंने बताया कि यह समझौता ज्ञापन इंटर्नशिप, उद्योग यात्राओं, उच्च शिक्षा और वास्तविक दुनिया के प्रोजेक्ट अवसरों के माध्यम से उद्योग-अकादमिक एकीकरण पर भी जोर देता है, ताकि छात्रों को व्यावहारिक अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो सके।