तमिलनाडु में नागरी लिपि कार्यशाला संपन्न

asiakhabar.com | February 2, 2025 | 4:42 pm IST

चेन्नई:नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली और हिंदू कालेज, चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में ‘ राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि की भूमिका ‘ विषय पर कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता नागरी लिपि परिषद तमिलनाडु इकाई की प्रभारी डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन ने की। मुख्य अतिथि के रूप में नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल आभासी माध्यम से उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ श्रावणी भट्टाचार्य, अध्यक्ष – भाषा विभाग, स्टेला मेरिस कालेज, चेन्नई रहीं ।इस एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ महाविद्यालय की छात्रा कु. हेमा मालिनी और कु. अर्चना के मंगलाचरण से हुआ। हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कार्यशाला के संयोजक डॉ सी मणिकंठन ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि लिपि व्यक्ति को मानव बनाती है और वह भाषा ही है जो हमें सबसे जोड़ती है। डॉ मणिकंठन ने सभी अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया।
महाविद्यालय के निदेशक डॉ एन राजेन्द्र नायडू ने इस अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि नागरी लिपि और हिंदी भाषा भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं , इसलिए हमें इन्हें सीखने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। निदेशक डॉ नायडू ने अध्यक्ष डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन, मुख्य वक्ता डॉ श्रावणी भट्टाचार्य और आईक्यूएसी समन्वयक डॉ भवानी सेल्वी का सम्मान शाल और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया।
नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने आभासी माध्यम से जुड़कर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि नागरी लिपि भारत में राष्ट्रीय एकता की एक सशक्त कड़ी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परम अनुयाई आचार्य विनोबा भावे की सत्प्रेरणा से 1975 में स्थापित नागरी लिपि ने अपनी पहली क्षेत्रीय बैठक में तमिलनाडु के सुप्रसिद्ध नागरी हिंदी सेवी श्री आर शौरिराजन को दक्षिण भारत में नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार का दायित्व सौंपा था। तमिलनाडु के ही संविधान सदस्य श्री गोपाल स्वामी आयंगर ने ने ही संविधान सभा में नागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार करने का प्रस्ताव रखा था।आज परिषद की प्रभारी डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन के प्रयासों से तमिलनाडु में लगातार संगोष्ठियां और प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। अनेक नागरी प्रेमी परिषद के आजीवन सदस्य भी बने हैं। हिंदू महाविद्यालय प्रतिवर्ष नागरी लिपि संगोष्ठियां आयोजित कर रहा है। नागरी लिपि परिषद के प्रयासों से पूर्वोत्तर राज्यों की नौ भाषाओं ने नागरी लिपि को अंगीकार कर लिया है।
महाविद्यालय की तृतीय वर्ष की छात्रा ओ ममता ने मुख्य वक्ता का परिचय दिया। मुख्य वक्ता स्टैला मैरिस कालेज के भाषा विभाग की अध्यक्ष डॉ श्रावणी भट्टाचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि नागरी लिपि सरल,सुगम और सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि है। विश्व की सभी भाषाएं नागरी लिपि में लिखी जा सकती हैं। लिपि विहीन बोली भाषाओं के लिप्यंतरण के लिए नागरी लिपि सर्वाधिक उपयुक्त एवं सक्षम लिपि है।आज विश्व भर में नागरी लिपि और हिंदी भाषा का प्रचार बड़ी तेज़ी से हो रहा है। नागरी लिपि परिषद की तमिलनाडु इकाई की प्रभारी डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन ने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं की एक ही लिपि होनी चाहिए ।ऐसी लिपि सिर्फ नागरी लिपि ही हो सकती है।
इस अवसर पर आभासी माध्यम से देश भर के अनेक नागरी प्रेमी जुड़े। इनमें बेंगलुरु से केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण उप संस्थान के सहायक निदेशक डॉ अनिल कुमार साहू, पुणे से पूर्व वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी , मध्य रेलवे डॉ सत्येन्द्र सिंह, श्रीमती श्वेता मिश्रा, श्री दत्तात्रेय, किशनवीर कुशवाहा, कोरबा छत्तीसगढ़ से हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ उषी अग्रवाल, बुलंदशहर से श्री अनिल चौधरी, अलीगढ़ से श्री कृष्ण कुमार, नागपुर से डॉ मधु भंभानी, श्री चंचल विश्वकर्मा, राजेश्वरी, मृदुला, रेखा , प्रार्थना,निर्विका , योगिता, रोशनी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। धन्यवाद ज्ञापन नर्मदा एन एम ने किया। तकनीकी सहयोग जिग्यकीर्तना, सबरीश और यज्ञेश्वरी का रहा।


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