भारतीय भाषाओं की जोड़ लिपि हो सकती है नागरी लिपि

asiakhabar.com | January 12, 2025 | 4:43 pm IST

नई दिल्ली ” नागरी लिपि विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक एवं सक्षम लिपियों में प्रमुख लिपि है। इसमें विश्व लिपि बनने की भरपूर सामर्थ्य है। यदि इसे समस्त भारतीय भाषाओं की जोड़ लिपि के रूप में स्वीकार कर लिया जाए तो भारत में राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ हो सकती है। समस्त भाषाई विवाद सहज ही समाप्त हो सकते हैं। आचार्य विनोबा भावे की सत्प्रेरणा से स्थापित नागरी लिपि परिषद ने अनेक भारतीय भाषाओं एवं विदेशी भाषाओं की नागरी लिपि में प्रवेशिकाएं प्रकाशित की हैं, जिनके माध्यम से नागरी लिपि जानने वाला व्यक्ति आसानी से इन हिंदीतर भाषाओं को समझ सकता है।” उक्त विचार प्रख्यात नागरी हिंदी सेवी और नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने अंतरराष्ट्रीय भारतीय भाषा सम्मेलन के ‘ भारतीय भाषा: विशेष संदर्भ राजभाषा और नागरी लिपि ‘ विषयक सत्र की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।इस सत्र में नागरी लिपि परिषद की नीदरलैंड इकाई के प्रभारी एवं हालेंड से प्रकाशित हिंदी पत्रिका साहित्य का विश्व रंग के संपादक डॉ रामा तक्षक, रेल मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व निदेशक राजभाषा डॉ वरुण कुमार, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के राजभाषा विभाग के सहायक निदेशक श्री रघुवीर शर्मा, आयात – निर्यात बैंक, मुंबई के मुख्य प्रबंधक राजभाषा श्री विकास वशिष्ठ ने भी अपने विचार रखे। सभी अतिथियों का स्वागत शाल और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया।नीदरलैंड के डॉ रामा तक्षक ने नागरी लिपि के दार्शनिक पक्ष पर विस्तार से व्याख्या प्रस्तुत की।इस अवसर पर केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष एवं वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष और सम्मेलन के संयोजक श्री अनिल जोशी ने अखिल विश्व हिंदी समिति, न्यूयॉर्क, अमेरिका द्वारा प्रकाशित और डॉ हरिसिंह पाल द्वारा संपादित वैश्विक हिंदी पत्रिका सौरभ और नागरी लिपि परिषद की मुख पत्रिका नागरी संगम का लोकार्पण भी किया।सत्र का विषय प्रवर्तन और संचालन श्री रघुवीर शर्मा ने किया।
इस अवसर पर मास्को, रूस की हिंदी सेवी डॉ तितिक्षा शाह, म्यांमार के नागरी हिंदी सेवी श्री चिंतामणि वर्मा, रेल मंत्रालय के पूर्व निदेशक राजभाषा और सुप्रसिद्ध सूचना प्रौद्योगिकीविद डॉ विजय कुमार मल्होत्रा, बंगलुरु के सहायक महाप्रबंधक राजभाषा डॉ जयशंकर यादव, गृह मंत्रालय भारत सरकार के कमांडेंट राजभाषा डॉ मोहन बहुगुणा, नराकास उपक्रम, गाजियाबाद के सदस्य सचिव श्री ललित भूषण, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी अधिकारी डॉ राजेश कुमार मांझी, लखनऊ से प्रकाशित शोध सरिता के संपादक डॉ विनय कुमार शर्मा, साहित्य सप्तक के संपादक अरविंद पथिक, विनयशील चतुर्वेदी,चंडीगढ़ की शोधार्थी सुश्री गंगा गुप्ता, दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रकारिता -अनुवाद के छात्र दीपेन्द्र यादव सहित देश- विदेश के अनेक हिंदी सेवी, भाषाविद, बुद्धिजीवी और विद्यार्थी उपस्थित थे।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *